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Karwa Chauth Vrat Katha in Hindi: करवा चौथ माता की कथा: आज करवा चौथ पर पढ़ें ये कहानी, पति की लंबी आयु का मिलेगा आशीर्वाद

Karwa Chauth Vrat Katha in Hindi: करवा चौथ के दिन व्रत करने वाली महिलाओं को व्रत की कहानी को जरूर सुनना और पढ़ना चाहिए. करवा चौथ पर आप इस कथा का पाठ अवश्य करें. इससे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होगी.

Credit- News 24 Gfx

Karwa Chauth Vrat Katha in Hindi: करवा चौथ पर सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं. मान्यताओं के अनुसार, करवा चौथ का व्रत करने से पति की उम्र लंबी होती है और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन में खुशियां आती हैं. इस बार करवा चौथ का व्रत आज यानी 10 अक्टूबर को है. करवा चौथ पर करवा माता की पूजा की जाती है और शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद महिलाएं पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोलती हैं.

करवा चौथ के व्रत में नियमों का पालन करने के साथ ही कथा का पाठ करना और व्रत की कथा को सुनना जरूरी होता है. आप करवा चौथ का व्रत रख रही हैं तो शाम के समय इस व्रत की कथा का पाठ अवश्य करें. व्रत के दिन अक्सर महिलाएं इक्ट्ठा होकर इस कथा को सुनती हैं. इस कथा के बिना करवा चौथ का व्रत अधूरा माना जाता है. आप यहां करवा चौथ व्रत की कथा को सुन सकते हैं.

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करवा चौथ व्रत कथा (Karwa Chauth Vrat Katha in Hindi)

आइए पढ़ते हैं करवा चौथ की कहानी....प्राचीन काल में इन्द्रप्रस्थपुर नामक शहर में वेदशर्मा नाम का एक ब्राह्मण रहता था, जिसकी शादी लीलावती से हुई थी. वेदशर्मा और लीलावती के सात पुत्र और वीरावती नाम की एक पुत्री थी. वीरावती सात भाइयों की एक बहन थी, जिसके कारण वह माता-पिता के साथ-साथ अपने भाइयों की भी लाड़ली थी.

जब वीरावती विवाह योग्य हो गई तो वेदशर्मा और लीलावती ने उसकी शादी एक ब्राह्मण युवक से करवा दी. शादी के बाद वीरावती कुछ समय के लिए अपने मायके आई, जहां पर उसने अपनी भाभियों को देखकर करवा चौथ का व्रत रखा. लेकिन व्रत का पारण करने से पहले ही वीरावती भूख सहन न करने के कारण बेहोश हो गई.

सभी भाइयों से अपनी बहन की ऐसी हालात देखी नहीं जा रही थी, लेकिन वो ये भी जानते थे कि वीरावती अपना व्रत नहीं तोड़ेगी. ऐसे में भाइयों ने एक योजना बनाई कि वो घर से दूर वट के वृक्ष पर हाथ में छलनी और दीपक लेकर चढ़ जाएंगे, जिससे वीरावती को लगेगा की चांद्र निकल आया है. वीरावती जब मूर्छित अवस्था से जागी तो उसके भाई उसे छत पर लेकर गए और उससे कहां कि चांद निकल आया है.

वीरावती ने कुछ दूर वट के वृक्ष पर छलनी के पीछे दीपक को देख विश्वास कर लिया कि चांद वृक्ष के पीछे निकल आया है. वीरावती ने जल्दी से चंद्र देव की पूजा की और व्रत का पारण कर लिया. लेकिन जैसे ही वीरावती ने जब भोजन करना आरंभ किया, उसे अशुभ संकेत मिलने लगे. पहले कौर में उसे बाल मिला, दूसरें में उसे छींक आ गई, जबकि तीसरे कौर में उसे अपने ससुराल वालों से वापन आने का निमंत्रण मिला.

ससुराल पहुंचने के बाद उसने अपने पति के मृत शरीर को देखा, जिसे देखकर वो रोने लगी और करवा चौथ के व्रत के दौरान अपनी किसी भूल के लिए खुद को दोषी ठहराने लगी. वीरावती को बिलख-बिलखकर रोते देख इन्द्र देवता की पत्नी देवी इन्द्राणी उसे सान्त्वना देने के लिए पहुंची.

वीरावती ने देवी इन्द्राणी से पूछा कि करवा चौथ के दिन ही उसके पति की मृत्यु क्यों हुई. साथ ही उसने अपने पति को जीवित करने की विनती की. वीरावती का दुःख देखकर देवी इन्द्राणी ने कहा कि उसने चन्द्रमा को अर्घ अर्पण किए बिना ही व्रत तोड़ा था, जिसके कारण उसके पति की असामयिक मृत्यु हो गई. इसके बाद देवी इन्द्राणी ने वीरावती को करवा चौथ के व्रत के साथ-साथ पूरे साल में हर माह की चौथ को व्रत करने की सलाह दी और उसे आश्वासित किया कि ऐसा करने से उसका पति जीवित लौट आएगा.

इसके बाद वीरावती ने पूरे सच्चे भाव से व्रत रखें. अन्त में उन सभी व्रतों से मिले पुण्य के कारण वीरावती को उसका पति पुनः वापस मिल गया. इसी के बाद से देशभर में करवा चौथ का व्रत रखने की परंपरा शुरू हो गई.

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है. News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है.


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