ऐसे करें पितरों को प्रसन्न
1. गंगाजल से स्नान
यदि संभव हो तो इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करें। यदि ऐसा न हो सके तो नहाने के पानी में कुछ बूंदें गंगाजल मिलाकर स्नान करें। मान्यता है कि इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और जीवन में पवित्रता का संचार होता है। ये भी पढ़ें: Shani Jayanti 2025: ये है शनि की सबसे ताकतवर राशि, किस्मत देती है हर मोड़ पर साथ; मिलती है जबरदस्त तरक्की2. तिल और जल से तर्पण
इस दिन स्नान के बाद दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पितरों के नाम से तिल मिश्रित जल अर्पित करें। यह तर्पण पितरों को तृप्त करता है और उनका आशीर्वाद जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है।3. पीपल वृक्ष की पूजा
भौमवती अमावस्या पर पीपल के पेड़ की पूजा विशेष फलदायक मानी जाती है। वृक्ष को जल दें, दूध अर्पित करें और 7 बार परिक्रमा करें। पीपल के नीचे एक दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।4. श्रीविष्णु और गीता पाठ
इस दिन भगवान श्रीविष्णु की विशेष पूजा करें। उनके निमित्त गीता के सातवें अध्याय का पाठ करें। यह पितृ शांति के साथ-साथ मानसिक संतुलन और आंतरिक शुद्धि के लिए भी श्रेष्ठ उपाय है।5. पितरों के लिए करें दान
दान करना इस दिन का सबसे पुण्यदायी कार्य है। पितरों की तृप्ति के लिए अनाज, वस्त्र, तांबे के पात्र, तिल, दक्षिणा और 7 प्रकार के अन्न का दान करें। ब्राह्मणों, जरूरतमंदों और गौसेवा के माध्यम से यह दान सबसे प्रभावी माना गया है।6. पीपल का पौधा लगाएं
अगर आपके आसपास स्थान है, तो इस दिन पीपल का पौधा अवश्य लगाएं। यह न सिर्फ पर्यावरण हितैषी कार्य है, बल्कि पितृ दोष शांति और आर्थिक बाधाओं से मुक्ति दिलाने वाला उपाय भी है।7. गौसेवा और पशु-पक्षियों की सेवा
अमावस्या के दिन गौमाता को रोटी, गुड़ और चारा खिलाना विशेष पुण्य देने वाला होता है। साथ ही पक्षियों को दाना-पानी देना, बेसहारा जानवरों की सेवा करना पितरों को अत्यंत प्रसन्न करता है। आपको बता दें, भौमवती अमावस्या पर मानसिक रूप से शांत रहें। अहिंसा का पालन करें। जितना हो सके, पवित्र विचार रखें। इस दिन व्रत और मौन का भी विशेष महत्व है। यदि पितरों की तृप्ति होती है, तो जीवन में चल रही रुकावटें खुद-ब-खढ दूर हो जाती हैं। ये भी पढ़ें: Most Humble Zodiac: विनम्रता है इन 4 राशियों की पहचान, सफलता की सीढ़ियां चढ़कर भी जमीन से जुड़े रहते हैं ये लोग
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