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सती-स्वरूपा देवी धूमावती की विचित्र कथा, शिव ने अपनी ही अर्धांगिनी सती को दिया विधवा होने का श्राप

Dhumavati Jayanti 2024: भगवान शिव की पत्नी देवी सती के एक रूप धूमावती की कथा काफी विचित्र है। उनके धूमावती रूप की जयंती 14 जून, 2024 को मनाई जाएगी। आइए जानते है, भगवान शिव ने अपनी अर्धांगिनी सती को विधवा होने का श्राप क्यों दिया?

Edited By : Shyam Nandan | Updated: Jun 9, 2024 14:00
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Dhumavati Jayanti 2024: भगवान शिव और देवी सती के प्रेम और साहचर्य की कथा देव जगत की अनूठी कथा है। विवाह के बाद पति-पत्नी के विवाद से शिव और सती भी नहीं बच पाए थे। इसी का परिणाम है सती-स्वरूपा देवी धूमावती की विचित्र कथा। धूमावती दस महाविद्या की देवियों में सातवीं देवी हैं, जो आकर्षण से विहीन चीजों और टूटी-फूटी वस्तुओं की स्वामिनी हैं।

जब सती ने शिव को निगल लिया

देवी धूमावती की कथा वाकई में काफी विचित्र है। कहते हैं, एक बार देवी सती को इतनी जोर से भूख लगी कि उन्हें कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। प्रचण्ड भूख से क्षुब्ध देवी को जो कुछ भी मिल रहा था, उसे निगलती जा रही थीं। तभी भगवान शिव उनके सामने आ गए। उन्होंने महादेव शिव को भी निगल लिया। चारों तरफ हाहाकार मच गया। तब देवताओं ने उनसे भगवान शिव को मुक्त करने की विनम्र विनती की। जब देवी को भूल का एहसास हुआ, तो उन्होंने भगवान शिव को मुक्त कर दिया।

ऐसे हुई देवी धूमावती की उत्पत्ति

इस घटना से भगवान शिव इतने क्रोधित हुए कि उन्होंने देवी सती को छोड़ देने का निर्णय ले लिया। केवल इतना ही नहीं, उन्होंने देवी सती को एक वृद्ध विधवा होने का श्राप दे दिया। कहते हैं, तत्काल प्रभाव से देवी सती कुरूप हो गई और एक वृद्ध विधवा के रूप में बदल गईं। देवी सती के इस रूप को धूमावती कहा गया है।

सुहागिनें क्यों नहीं करती हैं धूमावती की पूजा

सुहागिन महिलाएं देवी धूमावती की पूजा नहीं करती हैं, क्योंकि भगवान शिव के श्राप के कारण उनका रूप एक उग्र, बूढ़ी और विधवा स्त्री का है। उनके शरीर पर एक भी आभूषण नहीं है और वे सफेद वस्त्र धारण करती हैं। मान्यता है कि देवी धूमावती की पूजा करने से सुहागिन महिलाओं का जीवन पति के जिंदा रहते हुए भी विधवा के समान हो जाता है।

किन्हें करनी चाहिए देवी धूमावती की पूजा

प्राणतोषिणी तन्त्र ग्रंथ के अनुसार, जो लोग महान आर्थिक संकट से गुजर रहें हैं और घोर निर्धन हैं, उन्हें देवी धूमावती की पूजा से विशेष लाभ होता है। सभी प्रकार के कर्ज से मुक्ति मिलती है। साथ ही जो व्यक्ति किसी भयंकर रोग से पीड़ित हैं, देवी धूमावती की उपासना से वे रोग मुक्त हो जाते हैं।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित हैं और केवल जानकारी के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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Written By

Shyam Nandan

First published on: Jun 09, 2024 02:00 PM

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