Chanakya Niti: कहा जाता है कि बुढ़ापा और बचपन दोनों एक जैसे होते हैं, क्योंकि बचपन में जैसे बच्चा खुद अपना ख्याल नहीं रख पाता है। ठीक वैसे ही बुढ़ापे में व्यक्ति खुद का ख्याल नहीं रख पाता है। उन्हें तरह-तरह की बीमारियों होने लगती हैं, जिसकी वजह से उन्हें ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आचार्य चाणक्य के अनुसार, अपनी कुछ आदतों को अपनाकर व्यक्ति का बुढ़ापा खुशहाल रह सकता है। चलिए जानते हैं उन आदतों के बारे में।
आचार्य चाणक्य के अनुसार, व्यक्ति को कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए। अपनी कुर्सी यानी पद का लालच नहीं होना चाहिए। इससे बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। बच्चे और अपने बीच कभी भी घमंड और पैसों की दीवार को न आने दें, इससे रिश्ते खराब हो जाते हैं। ऐसे में बुढ़ापे में आप अकेले रह जाएंगे। बच्चे आपको बोझ भी समझ सकते हैं।
समय
चाणक्य ने अपने 'नीति शास्त्र' में बताया है कि व्यक्ति चाहे कितना भी बिजी क्यों न हो, उसे अपने परिवार वालों के साथ और अपने बच्चों के साथ समय जरूर बिताना चाहिए। उन्हें बाहर घूमने लेकर जाना चाहिए। अगर आप उनके साथ समय नहीं बिताएंगे, तो इससे आपको उन्हें जानने का मौका नहीं मिलेगा। आप दोनों के बीच प्यार नहीं बढ़ेगा। ऐसे में भविष्य में वह आपकी देखभाल खुशी से नहीं करेंगे।
आचार्य चाणक्य कौन थे?
आचार्य चाणक्य का नाम भारत के महान रणनीतिकार, अर्थशास्त्री और राजनेता की लिस्ट में पहले नंबर पर आता है। कहा जाता है कि उनके पास प्यार, दोस्ती, नौकरी और परिवार आदि-आदि मानव जीवन से संबंधित लगभग हर एक समस्या का समाधान होता था। उन्होंने अपने ज्ञान से 'चाणक्य नीति शास्त्र' की रचना की थी, जिसमें उन्होंने सभी समस्याओं के समाधान का उल्लेख किया है।
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