Parenting Tips: बाहरी देशों में बच्चे को जन्म के कुछ दिन बाद से ही माता-पिता से अलग सुलाया जाता है, लेकिन भारत में ऐसा नहीं होता. बच्चा कई-कई सालों तक मम्मी-पापा के ही कमरे में सोता है. यूं तो बच्चे को कम उम्र से ही अकेले सुलाना जरूरी है लेकिन कितनी कम उम्र से उसे अकेले सुलाना चाहिए और किस उम्र तक उसे माता-पिता (Parents) के साथ ही सोना चाहिए यह कोई नहीं बताता. ग्लोबल लीडिंग हॉलिस्टिक हेल्थ गुरु मिकी मेहता ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से एक वीडियो शेयर किया है जिसमें वे बता रहे हैं कि किस उम्र तक बच्चे को माता-पिता के साथ जरूर सुलाना चाहिए. मिकी मेहता का कहना है कि इस उम्र तक बच्चे को अपने आस-पास मां की जरूरत होती है. आपका भी अगर छोटा बच्चा है तो यहां जानिए मिकी मेहता किस उम्र तक बच्चे को पैरेंट्स के साथ ही सुलाने की सलाह देते हैं.
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बच्चे को किस उम्र तक माता-पिता के साथ सुलाना चाहिए
डॉ. मिकी मेहता का कहना है कि 7 साल तक की उम्र तक बच्चे को माता-पिता के साथ सोना चाहिए. डॉ. मिकी मेहता ने बताया कि 7 साल की उम्र तक बच्चे के मिरर न्यूरोन्स काम कर रहे होते हैं और वे बेहद सेंसिटिव होते हैं. इस उम्र तक बच्चे हर चीज सब्कोंशियसली सीखते हैं.
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एक्सपर्ट ने बताया कि पश्चिमी देशों में बच्चा 2 से 3 साल का होने के बाद से ही अलग कमरे में सोता है, वह बिस्तर गीला करता है, डरावने सपने देखता है, फोबिया वाले सपने देखता है क्योंकि बच्चा सब्कोंशियसली हर सिग्नल को पकड़ लेता है. बच्चे ऐसे में रोते और बिलखते हैं. कई बार बच्चे को हुआ यह डैमेज रिपेयर भी नहीं हो पाता है. लेकिन, जब बच्चा अपनी मां के पास होता है और रोता है तो मां उसे सहलाती है, बच्चे का कान उसकी मां के दिल पर लगा होता है और बच्चे की बड़ी हुई धड़कनें एकबार फिर रिदम पकड़ लेती हैं.
बच्चे को 7 साल की उम्र से पहले अकेला सुलाया जाए तो यह सभी डर, फोबिया या उसकी घबराहट उसकी सेहत को खराब कर सकते हैं. इसीलिए एक्सपर्ट का कहना है कि बच्चा जबतक 7 साल का नहीं हो जाता है उसे अपने पैरेंट्स के साथ ही उनके कमरे में सुलाना चाहिए और उसके बाद बच्चे को अलग कमरे में सुलाया जा सकता है.
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