Live-in Relationship: लिव इन रिलेशनशिप को लेकर इलाहबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने एक बड़ा फैसला दिया है और अपने महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि लिव इन रिलेशनशिप को गैर कानूनी नहीं कहा जा सकता है. लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले कपल्स के लिए यह एक बड़ी राहत वाला फैसला है. कोर्ट का कहना है कि संविधान के तहत हर नागरिक के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करना राज्य का कर्तव्य है. ऐसे में एक तरह से कोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले कपल्स को हरी झंडी दिखा दी है. लेकिन, लिव-इन रिलेशनशिप आखिर होता क्या है और लिव इन रिलेशनशिप में आने से पहले आपको अपने पार्टनर के बारे में क्या पता होना जरूरी है और किन बातों को डिस्कस करना जरूरी है, जानिए यहां.
लिव इन रिलेशनशिप क्या होता है | What Is Live-in Relationship | Live-in Relationship kya hota hai
लिव इन रिलेशनशिप एक तरह का इनफोर्मल अरेंजमेंट होता है जिसमें शादी किए बिना कोई कपल साथ रहता है. लिव इन रिलेशनशिप में कपल (Live-in Relationship) बिल्कुल उसी तरह साथ रहता है जिस तरह शादी के बाद पति-पत्नी साथ रहते हैं, फर्क बस इतना होता है कि कपल की एकदूसरे से शादी नहीं हुई होती. भारत में यह कांसेप्ट नया नहीं है. बहुत से कपल्स बिना शादी के लिव इन रिलेशनशिप में रहते हैं.
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लिव इन रिलेशनशिप में आने से पहले पार्टनर से डिस्कस करें ये बातें
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- इस बात का डिस्कशन पहले ही कर लें कि घर का किराया कौन देगा, खाने-पीने का सामान कौन लाएगा और फर्नीचर वगैरह कौन खरीदेगा. दोनों हर खर्चे को बराबर बांटेंगे या नहीं इसके बारे में चर्चा करना जरूरी है. घर के काम कौन करेगा और कौन नहीं करेगा यह चर्चा कर लें. एकदूसरे से क्लियर रखें कि घर के काम आपस में किस तरह बांटने हैं. ऐसा ना हो कि एकसाथ रहना शुरू करने के बाद पता चले कि दोनों ही एकदूसरे के भरोसे साथ में शिफ्ट हुए हैं.
- आगे शादी को लेकर आप दोनों के क्या ख्याल हैं इसकी चर्चा पहले ही कर लेनी जरूरी है. ऐसा ना हो एक पार्टनर आस लगाए बैठा हो कि शादी जल्दी होगी और दूसरा कभी शादी करना ही ना चाहता हो.
- क्या लिव इन में रहते हुए बच्चे चाहिए या फिर कभी अगर अनचाही प्रेग्नेंसी हो जाए तो क्या करेंगे, इसपर जरूर बात करें. अक्सर ही एक पार्टनर बच्चा चाहता है और दूसरा नहीं. बच्चे का जिक्र आने पर रिलेशनशिप के समीकरण अक्सर ही बदल जाते हैं.
- स्पेस देने के बारे में चर्चा करना जरूरी है. दोनों पार्टनर्स के पास पर्सनल स्पेस (Personal Space) होना चाहिए. साथ रहने का मतलब यह ना हो कि एक पार्टनर अपने मी-टाइम के लिए स्ट्रगल करे और दूसरा यह सोचे कि पार्टनर को अपना मी-टाइम इस रिश्ते से ज्यादा प्यारा है.
- कभी अगर लड़ाई हुई तो क्या पार्टनर घर छोड़कर चला जाएगा या नहीं इस बारे में डिस्कस कर लें. एक पार्टनर के चले जाने पर घर की पूरी जिम्मेदारी दूसरे पार्टनर पर आ जाएगी. एकदम से यह सब बहुत शॉकिंग होगा. इसीलिए सबकुछ पहले ही डिस्कस कर लें.
- दोस्तों का घर आना दोनों को अच्छा लगेगा या नहीं यह जान लें. घर में पार्टी करनी है या नहीं, घर में ऑफिस के या पुराने किन्हीं दोस्तों को बुलाना है या नहीं या फिर नाइट स्टे के लिए किसी को रोकना है या नहीं इस तरह की बातों को पहले ही डिस्कस करना जरूरी है. बाद में यह बातें लड़ाई का कारण बनती हैं.
- एमरजेंसी का क्या प्लान (Emergency Plan) है और आगे चलकर कैसी नौकरी करनी है, घर वाले अगर शादी के लिए या शहर बदलने के लिए कहेंगे तो क्या करना है, इस तरह की बातों को डिस्कस करना जरूरी है.
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