what is dark pattern: इंडिगो क्राइसिस झेल चुके फ्लाइट पैसेंजर्स के साथ विमान कंपनियों का डार्क पैटर्न का खेल अब भी जारी है. लोकल सर्किल के सर्वे में इसका खुलासा हुआ है. 10 में से 8 यात्रियों ने माना कि 80% यात्रियों को किसी ने किसी रूप में डाक पैटर्न का सामना करना पड़ा है. यानी की टिकट बुकिंग, सीट कैंसिलेशन और बीमा जैसी सेवाओं की खरीद में भी डार्क पैटर्न का इस्तेमाल देखने को मिला है. लोकल सर्कल्स के सर्वे में सामने आया है कि देश भर के 302 जिलों में एयरलाइन सेवाओं को लेकर एक बड़ा सर्वे किया गया है. इसमें 1.4 लाख से ज्यादा प्रतिक्रिया मिली है. सर्वे में 67 फीसदी पुरुष और 33 फीसदी महिलाएं शामिल हुई, सर्वे में भाग लेने वालों में 46% लोग टायर 1 शहरों से थे, वहीं 29 फ़ीसदी टायर 2 और 25% टायर 3 शहरों में रहते हैं.
---विज्ञापन---
सहमति के खिलाफ फैसला करने को मजबूर
किराया और रिफंड पॉलिसी बदलने की समस्या 70 फीसदी दिखती है ऐसा 17000 से ज्यादा लोगों ने कहा, 17253 लोगों ने यह भी कहा कि एयरलाइन एप्स पर इच्छा के खिलाफ फैसले के लिए मजबूर किया जाता है, 64 फीसदी यूजर्स ने कहा कि उन्हें बहुत बार सहमति के खिलाफ फैसला करने को मजबूर किया गया.
---विज्ञापन---
जानें क्या होता है डार्क पैटर्न?
डार्क पैटर्न यूजर इंटरफेस की तरह का होता है, जिसे कंपनी अपना फायदा कराने के लिए डिजाइन करवाती हैं. अपने प्लेटफॉर्म पर कंपनी प्रोडक्ट या प्राइस डिटेल से जुड़ी कुछ चीजें या तो हाइड रखती है या ऐसी जगह लगाती है जहां यूजर्स को दिखे न. सर्वे में 80 फ़ीसदी यात्रियों ने कहा कि उनको बुकिंग के अंत में ऐसे चार्ज दिखे जो शुरुआत में नहीं बताये गए थे और इसी सबको कहा जाता है डॉर्क पैटर्न. यही नहीं एयर इंडिया,स्पाइसजेट और आकाशा पर छिपे चार्ज जोड़ने के बाद भी समय-समय पर लगाते रहे हैं यानी पहले मनमोहक ऑफर देना और फिर बाद में शर्तें बदल देना भी इसमें शामिल है. ऐसे में साफ हैं सिविल एवीएशन इंडस्ट्री का आम लोगों के साथ बेईमानी करना लम्बे समय से चला आ रहा हैं, ऐसे में सरकार को अब कड़े एक्शन लेने की जरूरत है.
यह भी पढ़ें: 50 लाख सरकारी कर्मचारियों के लिए फायदे की खबर, सरकार ने बदले नियम, 15 दिसंबर से होंगे लागू