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संसद में सरकार का दावा- स्मार्ट मीटरिंग का बंपर रोलआउट: पोस्टपेड से प्रीपेड की ओर बढ़ा भारत

लोकसभा में गुरुवार को केंद्र सरकार ने बताया कि बिजली उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं देने और वितरण कंपनियों की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए देशभर में 4.93 करोड़ स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं. इनमें से 1.6 करोड़ स्मार्ट मीटर प्रीपेड मोड में काम कर रहे हैं.

लोकसभा में सांसद रुचि वीरा के सवाल पर केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बताया कि Distribution Sector Scheme (RDSS) के तहत कुल 20.33 करोड़ स्मार्ट मीटरों की मंजूरी दी गई है, जिसमें 19.79 करोड़ उपभोक्ताओं की प्रीपेड मीटरिंग, 2.11 लाख फीडरों और 52.53 लाख डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉर्मरों पर मीटरिंग का काम शामिल है. सरकार के मुताबिक, इसमें से 3.58 करोड़ मीटर पहले ही स्थापित किए जा चुके हैं, जबकि बाकी राज्य सरकारों की योजनाओं के तहत लगाए जा रहे हैं. सरकार ने बताया कि पहले बिजली बिलिंग में पोस्टपेड मोड को ही प्राथमिकता दी जाती थी, लेकिन उपभोक्ताओं और वितरण कंपनियों दोनों को होने वाले लाभ को देखते हुए स्मार्ट प्रीपेड मीटरों की तैनाती तेज की गई है. शुरूआत सरकारी दफ्तरों, वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों, औद्योगिक इकाईयों और बड़े उपभोक्ताओं से की जा रही है. बाद में इन मीटरों को बाकी श्रेणियों में भी लागू किया जाएगा.

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सरकार ने गिनाए उपभोक्ताओं के लाभ

स्मार्ट प्रीपेड मीटरों से उपभोक्ताओं को छोटे रिचार्ज की सुविधा, शून्य बैलेंस पर कटौती से बचाने के लिए इमरजेंसी क्रेडिट, खपत की रियल-टाइम ट्रैकिंग और त्रुटि-रहित बिलिंग जैसी सुविधाएँ मिलेंगी. सरकार के मुताबिक, इससे वितरण कंपनियों की बिलिंग और कलेक्शन दक्षता बढ़ेगी और डेटा एनालिटिक्स की मदद से लोड पूर्वानुमान तथा मांग प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में सुधार होगा. इन सुधारों का फायदा उपभोक्ताओं को कम लागत और बेहतर सेवा के रूप में मिलेगा.

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जागरूकता की कमी बनी चुनौती

सरकार ने माना कि स्मार्ट मीटरिंग लागू करने के शुरुआती चरण में उपभोक्ता जागरूकता की कमी के कारण कुछ दिक्कतें सामने आईं. इस समस्या के समाधान के लिए मंत्रालय ने कई दिशा-निर्देश और स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOPs) जारी किए हैं. इनमें प्रीपेड मीटर लगाने पर बिजली बिल में रियायत, स्मार्ट मीटर में दर्ज अधिकतम मांग के आधार पर कोई जुर्माना न लगाना, बकाया राशि की आसान किस्तें, सटीकता बढ़ाने के लिए चेक मीटर लगाना, स्मार्ट मीटर ऐप की सुविधा और बैलेंस व आपात क्रेडिट के अग्रिम अलर्ट शामिल हैं. सरकार का कहना है कि इन कदमों के बाद उपभोक्ताओं में भरोसा और सहभागिता लगातार बढ़ रही है, जिससे स्मार्ट मीटरिंग की गति और तेज होने की उम्मीद है.

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