दिल्ली-NCR भूकंप का संवेदनशील जोन
भू-वैज्ञानिकों के अनुसार, दिल्ली-NCR भूकंप की दृष्टि से जोन-4 में आता है तो इस वजह से दिल्ली-NCR भूकंप के मद्देनजर संवेदनशील जोन है। ऐसे में दिल्ली-NCR में 7.9 की तीव्रता तक का भूकंप आ सकता है और अगर इतनी तीव्रता वाला भूकंप दिल्ली-NCR में आया तो भयंकर तबाही का मंजर देखने को मिल सकता है। दिल्ली-NCR हिमालय क्षेत्र के नीचे टेक्टोनिक प्लेट्स के बीचों-बीच बसा है। दिल्ली-NCR से हिमालय क्षेत्र की दूरी लगभग 250 किलोमीटर है। दिल्ली-NCR के नीचे से 3 फाल्ट लाइनें भी गुजरती हैं। इस तरह दिल्ली-NCR भूंकप के लिहाज से 2 संवेदनशील इलाकों के बीच पड़ता है। इन दोनों इलाकों में प्लेट्स टकराने से दिल्ली-NCR में भयंकर विनाशकारी भूकंप आ सकता है। वैसे इससे ज्यादा और सबसे खतरनाक जोन-5 है, जिसमें जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश का पश्चिमी हिस्सा, उत्तराखंड का पूर्वी हिस्सा, गुजरात में कच्छ का रण, उत्तरी बिहार का हिस्सा, भारत के सभी पूर्वोत्तर राज्य, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह आते हैं। यह भी पढ़ें- Earthquake Tremors: क्यों आता है भूकंप और क्या है इसके पीछे की वजह? विस्तार से पढ़ें सबकुछभूकंप क्यों आता है?
धरती के अंदर 7 बड़ी प्लेट्स हैं, जो हमेशा घूमती रहती हैं। कई बार यह प्लेट्स आपस में टकराती हैं और इस जगह को फॉल्ट लाइन कहा जाता है। फॉल्ट लाइन पर ज्यादा दबाव पड़ने से अक्सर प्लेट्स का कमजोर हिस्सा टूट जाता है, जिससे धरती कांपने लगती है। भूकंप का केंद्र धरती के अंदर जितनी ऊपर होता है, उतनी ही ज्यादा तबाही होने की संभावना रहती है।रिएक्टर स्केल क्या होता है?
भूकंप की तीव्रता नापने के लिए रिएक्टर स्केल का इस्तेमाल होता है। साल 1935 में अमेरिकी वैज्ञानिक चार्ल्स रिएक्टर और बेनो गुटरबर्ग ने इसकी खोज की थी। रिएक्टर स्केल लॉगरिथम पर काम करता है। रिएक्टर स्केल में 0-10 तक के अंक लिखे होते हैं। ऐसे में रिएक्टर स्केल के अनुसार, भूकंप की न्यूनतम तीव्रता 0 और अधिकतम तीव्रता 10 हो सकती है।| रिएक्टर स्केल | कितना असर |
| 0-1.9 | हल्का भूकंप महसूस होता है। |
| 2-2.9 | भूकंप आने पर हल्का कंपन होता है। |
| 3-3.9 | भूकंप आने पर जोर का झटका लगता है। |
| 4-4.9 | घरों की खिड़कियों को नुकसान पहुंच सकता है। |
| 5-5.9 | पंखे हिलने लगते हैं। |
| 6-6.9 | इमारतों को नुकसान हो सकता है। |
| 7-7.9 | घर गिरने की संभावना अधिक हो जाती है। |
| 8-8.9 | बड़े पुल धराशायी हो जाते हैं। |
| 9 से ज्यादा | भूकंप से भयंकर तबाही देखने को मिलती है। |