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क्या अमेरिका से ट्रेड डील पर पड़ेगा भारत-रूस के मजबूत होते संबंधों का असर? पढ़ें विदेश मंत्री जयशंकर का जवाब

India Russia Relations: भारत और रूस के बढ़ते संबंधों का अमेरिका के साथ संबंधों पर असर पड़ेगा या नहीं? इसे लेकर पूछे गए सवाल का जवाब भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने दिया है. क्योंकि अमेरिका ने भारत पर रूस के कारण आर्थिक दबाव डाला तो भारत ने रूस से तेल व्यापार कम कर दिया, लेकिन इस कटौती का भारत-रूस के संंबंधों पर कोई असर नहीं पड़ा?

विदेश मंत्री जयशंकर ने अमेरिका को लेकर पूछे गए सवालों का जवाब दिया है.

India Russia Relations Impact: राष्ट्रपति पुतिन हाल ही में भारत दौरे पर आए तो भारत और रूस के संबंध पहले से ज्यादा मजबूत होते दिखे. भारत और रूस के बीच कई अहम समझौते हुए, वहीं भारत ने रूसी पर्यटकों के लिए 30 दिन का फ्री ई-टूरिस्ट वीजा भी शुरू किया. वहीं रूस ने भारत को Su-57 फाइटर जेट को लेकर एक डील भी ऑफर की. पूरी दुनिया की नजर पुतिन की 2 दिवसीय भारत यात्रा पर रही.

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यूक्रेन युद्ध के कारण भारत-अमेरिका में तनाव

ऐसे में सवाल उठा कि क्या भारत-रूस के बढ़ते रिश्तों का अमेरिका के साथ ट्रेड डील पर असर पड़ेगा? क्योंकि यूक्रेन के साथ युद्ध के चलते रूस के साथ अमेरिका के संबंध तनावपूर्ण चल रहे हैं. रूस-यूक्रेन जंग के कारण अमेरिका ने भारत पर आर्थिक दबाव भी डाला हुआ है. रूस से तेल व्यापार के चलते अमेरिका ने भारत पर पैनल्टी के तौर पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाया है और ट्रेड डील से इनकार भी कर दिया था.

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अमेरिका के दबाव के चलते भारत ने रूस से तेल की खरीद कम कर दी तो अमेरिका ट्रेड डील करने को तैयार हुआ और व्यापार वार्ता अभी जारी, लेकिन इस बीच पुतिन की भारत यात्रा से रूस के साथ रिश्ते और मजबूत हो गए, यानी तेल व्यापार में कटौती होने पर भी भारत-रूस के संबंधों पर असर नहीं पड़ा, ऐसे में अमेरिका इन मजबूत होते संबंधों को कैसे लेगा? इसका जवाब विदेश मंत्री जयशंकर ने दिया है.

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विदेश मंत्री ने कही विकल्प खुले होने की बात

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक कार्यक्रम में भारत-रूस शिखर सम्मेलन और अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता पर बात की. उन्होंने यह पूछे जाने पर कि क्या रूस के साथ भारत के संबंध अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता को प्रभावित कर सकते हैं, विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि भारत के दुनिया के सभी देशों के साथ संबंध हैं. किसी भी देश से यह अपेक्षा करना कि वह दूसरों के साथ अपने संबंधों को दूसरों के अनुसार विकसित करे, सही नहीं है. भारत के पास कई रिश्ते हैं और विकल्प खुले हैं.

विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि अमेरिका को लेकर भारत की धारणा थी कि वह इंटरनेशनल सिस्टम को स्थिर करने वाला देश रहेगा, लेकिन यह धारणा अब गलत साबित होती नजर आ रही है. भारत सोचता था कि पश्चिम एशिया और मध्य पूर्व की समस्याएं कभी नहीं बदलेंगी, लेकिन थोड़ा बहुत परिवर्तन आ गया है. आने वाले कल से निपटने का सबसे अच्छा तरीका कैपेसिटी, कैपेसिटी और सिर्फ कैपेसिटी है. अगर आप कैपेबल हैं तो अचानक आने वाली समस्याओ से निपट सकते हैं.


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