क्या बूढ़े हो चुके पैदल सेना के चीता और चेतक हेलीकॉप्टर? अगर नहीं तो क्यों हो रही दुर्घटनाएं?
नई दिल्ली: लेह और सियाचिन में आप एक बार घूमने जरूर गए होंगे, लेकिन ध्यान दें कि इस दुर्गम इलाके में प्वाइंट जीरो पर देश की सुरक्षा में खड़े शूरवीरों को जरूरत का सामान एक से दूसरी जगह ले जाने के लिए इंडियन आर्मी चीता और चेतक हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल करती है। ऐसी क्या वजह है कि ये हेलिकॉप्टर लगातार दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं? इनकी जगह नए चीता और चेतक की जरूरत सेना ने बताई है। सूत्रों के मुताबिक ये अगले तीन से चार साल बाद रिप्लेस होना शुरू होंगे। इन्हें HAL, LUH बना रहा है। साथ ही सेना कुछ हेलिकॉप्टर लीज पर भी लेने की तैयारी कर रही है।
आर्मी एविएशन के पास अभी करीब 190 चीता, चेतक और चीतल हेलिकॉप्टर
दरअसल, आर्मी एविएशन के पास अभी करीब 190 चीता, चेतक और चीतल हेलिकॉप्टर हैं। इसमें से पांच 50 साल से भी ज्यादा पुराने हैं और करीब 130 हेलिकॉप्टर 30 से 50 साल पुराने हैं। इन्हें रिप्लेस करने के लिए HAL लाइट यूटिलिटी हेलिकॉप्टर बना रहा है। आर्मी को ऑटो पायलट भी चाहिए था, जो अब इनमें फिट किया गया है और इनका ट्रायल चल रहा है। ऑटो पायलट होने से इन यूटिलिटी हेलिकॉप्टर की लोड उठाने की क्षमता बढ़ जाएगी और हाई एल्टीट्यूट में उड़ाना आसान होगा। आर्मी को इस तरह के 250 हेलिकॉप्टर चाहिए, लेकिन HAL की कैपिसिटी को देखते हुए आर्मी कुछ हेलिकॉप्टर लीज पर लेने की भी प्लानिंग कर रही है। आर्मी स्वदेशी हेलिकॉप्टर ही लीज पर लेगी और इसके लिए जो जानकारी मांगी गई थी, उसके अच्छे रिस्पॉन्स भी मिले हैं।
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रिप्लेस करने में 10-12 साल का वक्त लगेगा
सैन्य सूत्रों के मुताबिक सारे चीता-चेतक को रिप्लेस करने में 10-12 साल का वक्त लगेगा। अगले 3-4 साल में चीता हेलिकॉप्टर की टेक्निकल लाइफ खत्म होनी शुरू हो जाएगी। जैसे-जैसे इनकी टेक्निकल लाइफ खत्म होगी, इन्हें रिप्लेस किया जाएगा। आर्मी को LUH की पहली खेप अगले साल के अंत तक मिल पाएगी। अगले साल आर्मी एविशन को एक और रिमोटली पाइलेटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम मिल जाएगा। आर्मी एविशन को दो इजरायली यूएवी हर्मिस मिलने हैं। ये हैदराबाद में बनाए जा रहे हैं, इनका एयरफ्रेम तैयार हो गया है।
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सूत्रों के मुताबिक इजरायल-हमास जंग का इन पर असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि इजरायल से जो इक्विपमेंट आने थे-वे आ चुके हैं और इनकी वक्त पर डिलीवरी हो जाएगी। आर्मी एविशन के पास अभी हेरोन-मार्क1 यूएवी की फ्लीट भी हैं और हेरोन-मार्क2 भी मिलने शुरू हुए हैं। हेरोन-मार्क2 सेटकॉम इनेबल्ड हैं और अब आर्मी के पास मौजूद हेरोन-मार्क1 को भी अपग्रेड कर सेटकॉम इनेबल्ड किया जा रहा है। हर्मिस भी सेटकॉम इनेबल्ड हैं। सेटकॉम इनेबल्ड का मतलब है सेटेलाइट कम्युनिकेशन किया जा सकेगा। इससे यूएवी की पहुंच और रेंज दोनों बढ़ती हैं। अभी हेरोन-मार्क -1 जो सेटकॉम इनेबल्ड नहीं है उससे ग्राउंड से कम्युनिकेट करना होता है या फिर दूसरा यूएवी फ्लाई कर उसके जरिए कम्युनिकेट किया जा सकता है, लेकिन सेटेलाइट कम्युनिकेशन होने पर इसे कहीं से भी उड़ाया जा सकेगा।
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