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Waqf Act: क्या है आर्टिकल 26? जिसका सुप्रीम कोर्ट में पहले ही दिन हुआ जिक्र

Waqf Act Article 26: वक्फ कानून के खिलाफ याचिकाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की जा रही है। सुनवाई के पहले पहले दिन शीर्ष कोर्ट में आर्टिकल 26 का जिक्र किया गया। न केवल कपिल सिब्बल बल्कि सीजेआई ने भी अनुच्छेद 26 का जिक्र करते हुए टिप्पणियां कीं।

Author Edited By : Pushpendra Sharma Updated: Apr 16, 2025 16:41
Waqf Board Supreme Court Article 26
नए वक्फ कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई।

Waqf Act Article 26: सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है। वक्फ बिल के खिलाफ 73 याचिकाएं लगाई गई हैं। जिनमें से 10 पर सुनवाई की जा रही है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल पक्ष रख रहे हैं। इस दौरान उन्होंने आर्टिकल 26 का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि यह अधिनियम आर्टिकल 26 के प्रावधानों का उल्लंघन करता है। आइए जानते हैं आर्टिकल 26 क्या है और सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान पहले ही दिन इसका जिक्र किया।

क्या है आर्टिकल 26? 

आर्टिकल 26 में देश के नागरिकों को धार्मिक मामलों के प्रबंध करने की छूट दी गई है। इसमें कहा गया है कि सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य के अधीन रहकर हर धार्मिक संप्रदाय को यह अधिकार होगा कि वह अपने धार्मिक उद्देश्यों के लिए संस्थाओं की स्थापना और रखरखाव कर सके। इसी के साथ धर्म के मामलों में स्वयं के मामलों का प्रबंध करना, चल और अचल संपत्ति का स्वामित्व एवं अधिग्रहण करना और ऐसी संपत्ति का कानून के अनुसार प्रशासन करना शामिल है। अनुच्छेद 26 (ए) में धार्मिक और धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए संस्थाओं की स्थापना और रखरखाव का अधिकार मिला है। आसान भाषा में कहा जाए तो आर्टिकल 26 व्यक्ति को अपने धार्मिक मामलों का प्रबंध करने की छूट देता है।

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सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने क्या कहा? 

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने सुनवाई के दौरान कहा- हिंदुओं के मामले में ऐसा होता रहा है। उन्होंने आगे कहा कि चूंकि आर्टिकल 26 धर्मनिरपेक्ष प्रकृति का है, इसलिए यह मुस्लिम के लिए कानून बनाने पर रोक नहीं लगाता। सीजेआई ने आगे कहा- संसद ने मुस्लिमों के लिए कानून बनाया है, लेकिन आर्टिकल 26 किसी भी तरह से कानून बनाने पर रोक नहीं लगा सकता। अनुच्छेद 26 सभी धर्मों पर लागू होता है।

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कपिल सिब्बल बोले- ये अधिकारों का उल्लंघन 

हालांकि इसका जवाब देते हुए कपिल सिब्बल ने अपने तर्क पेश किए। उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड की जब स्थापना की गई थी तब सिर्फ मुस्लिम ही इसका थे, लेकिन अब जिस तरह के बदलाव किए गए हैं, उनमें हिंदू भी इसका हिस्सा बन सकते हैं। यह कहीं न कहीं मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। सिब्बल ने कहा- संसद के जरिए धर्म के अभिन्न अंग में हस्तक्षेप की कोशिश की जा रही है। नए कानून के कई प्रावधान अनुच्छेद 26 का उल्लंघन कर रहे हैं। राज्य मेरे धर्म में उत्तराधिकार बताने वाला कौन होता है।

सेल डीड कहां से दिखाएंगे 

सीजेआई ने महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए ये भी कहा कि हम इस मामले को सुनवाई के लिए हाई कोर्ट के पास भी भेज सकते हैं। इससे हमें ये फायदा होगा कि जब केस हमारे पास आएगा तो हमारे पास हाई कोर्ट का भी एक जजमेंट होगा। उन्होंने कहा- अंग्रेजी शासन काल से पहले वक्फ रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था नहीं की गई थी। कई मस्जिदें 13वीं से लेकर 15वीं शताब्दी तक बनाई गईं। अब आप चाहते हैं कि वो आपको सेल डीड दिखाएं, ऐसा संभव नहीं है, वे आपको ये कहां से दिखाएंगे। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून के खिलाफ याचिकाओं पर तीन जजों की बेंच सुनवाई कर रही है। जिसमें चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन शामिल हैं। सरकार का पक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता रख रहे हैं।

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Edited By

Pushpendra Sharma

First published on: Apr 16, 2025 04:08 PM

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