---विज्ञापन---

देश

काशी में क्यों खेली जाती है चिताओं की भस्म से होली? मसान होली पर क्यों शुरू हुआ विवाद?

Varanasi Manikarnika Ghat Masan Holi Controversy: वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर होने वाली मसान होली को लेकर विवाद तेज हो गया है। कई लोगों ने इस होली का विरोध किया है। तो आइए जानते हैं आखिर पूरा मामला क्या है?

Author Edited By : Sakshi Pandey Updated: Mar 8, 2025 14:16
Varanasi Manikarnika Ghat Masan Holi Controversy

Kashi Varanasi Masan Holi Controversy: मणिकर्णिका घाट पर मसान यानि चिताओं की राख से होली मनाने का मुद्दा काफी गर्माया हुआ है। एक पक्ष इसका विरोध कर रहा है तो दूसरा इसका समर्थन कर रहा है। वाराणसी में होने वाली मसान की होली पर विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है। आगामी 10 और 11 मार्च को वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर मसान की होली खेली जाएगी। हालांकि कई हिंदू संगठन और बुद्धिजीवी वर्गों का कहना है कि भस्‍म होली का उल्‍लेख किसी भी शास्‍त्र में नहीं किया गया है।

क्यों खेली जाती है मसान में होली?

मसान होली विवाद पर चुप्पी तोड़ते हुए बाबा महाश्मशान नाथ मंदिर के व्यवस्थापक (Administrator) गुलशन कपूर ने कहा कि ऐसी मान्यता है रंगभरी एकादशी के अगले दिन बाबा भोलेनाथ दोपहर में मध्याह्न स्नान करने मणिकर्णिका तीर्थ पर आते हैं। स्नान के बाद अपने प्रियगणों के साथ चिता भस्म से होली खेलते हैं। यह परंपरा अनादि काल से चली आ रही है।

---विज्ञापन---

यह भी पढ़ें- मुस्लिमों के लिए क्या होली खेलना बैन! जानें क्या कहता है Islamic Law?

क्यों हो रहा है विरोध?

प्रोफेसर रामनारायण द्विवेदी ने कहा कि शमशान घाट पर परिजनों के शव पड़े होते हैं। ऐसे में वहां उत्‍सव का आयोजन करना ठीक नहीं है। उन्‍होंने कहा कि इस तरह का आयोजन काशी की परंपरा नहीं है। उन्‍होंने कहा कि काशी में लोग पाप धुलने जाते हैं, लेकिन ध्‍यान रहे कि काशी में किया गया पाप नहीं धुलता। दुर्भाग्‍य है कि युवा आयोजन में भाग ले रहे हैं।

---विज्ञापन---

लोगों से की अपील

काशी विद्वत परिषद, विश्व वैदिक सनातन न्यास सहित अन्य हिंदू संगठनों की तरफ से एक चर्चा का आयोजन किया गया था। इस बैठक के बाद हिंन्दू संगठनों ने आग्रह किया कि गृहस्थ, युवा वर्ग एंव बच्चियों का ऐसे स्थान पर जाना सही नहीं है। ऐसा कहा जाता है कि इसके गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं। लोगों से अपील करते हुए कहा गया कि ऐसे किसी भी आयोजन में शामिल न हो।

देश-विदेश से श्रद्धालुओं का होता आगमन

बता दें कि चिता भस्म होली के लिए काशी में देश ही नहीं विदेश से श्रद्धालु भी आते हैं। लोगों की मान्यता है कि भगवान भोलेनाथ मां गौरा का रंगभरी एकादशी के दिन गौना करा कर लौटते हैं तो देवी-देवता, मानव, किन्नर, सभी पूरे हर्षोल्लास के साथ जश्न मनाते हुए होली खेलते हैं। जबकि भगवान भोलेनाथ अपने प्रियगणों में भूत-पिशाच, औघड़ के साथ श्मशान घाट पर चिता की भस्म की होली खेलते हैं।

DCP ने श्रद्धालुओं को दिए निर्देश

मणिकर्णिका घाट पर मसान की होली 11 मार्च को दोपहर 12 बजे से 1 बजे तक सिर्फ एक घंटे के लिए होगी। इस दौरान डीजे पर प्रतिबंध रहेगा। श्रद्धालुओं का प्रवेश कचौरी गली और मणिकर्णिका घाट वाली गली से होगा। काशी जोन के डीसीपी गौरव बंसल ने आयोजकों को निर्देश दिया है कि श्रद्धालु गंगा घाटों से होकर बाहर निकलेंगे। डीसीपी ने कहा कि श्रद्धालु शांतिपूर्वक त्योहार का आनंद लें। उन्होंने कहा झगड़ा, छेड़खानी और माहौल खराब करने वालों से पुलिस सख्ती से निपटेगी। श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए गंगा घाटों पर छह थानों की फोर्स के साथ जल पुलिस, 11 एनडीआरएफ और पीएसी बाढ़ राहत दल के जवान तैनात रहेंगे। कैमरे भी श्रद्धालुओं पर नजर रखेंगे।

यह भी पढ़ें- अयोध्या एक्सप्रेस को मिली बम से उड़ाने की धमकी, यात्रियों में फैली दहशत! 2 घंटे तक खड़ी रही ट्रेन

HISTORY

Edited By

Sakshi Pandey

First published on: Mar 08, 2025 02:16 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें