Telangana News : तेलंगाना में अब चाइल्ड ट्रैफिकिंग से रेस्क्यू किए गए बच्चों के भाग्य का फैसला चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (CWC) करेगा। हाई कोर्ट के आदेश के बाद सीडब्ल्यूसी ने बच्चों और पेरेंट्स के मिलन के लिए एक नया प्लान तैयार किया। अब कमेटी की ओर से बॉन्डिंग सेशन का आयोजन किया जाएगा, जहां प्यार और कानून की परिभाषा तय होगी। आइए जानते हैं कि क्या है पूरा मामला?
लीगल एक्सपर्ट ने ‘बॉन्डिंग एक्साइज’ पर चिंता जाहिर की। इसके तहत करीब 15 बच्चों को उन दंपतियों को लौटाया जा सकता है, जिन पर बच्चों की तस्करी करने वाले गिरोह से उन्हें खरीदने का आरोप लगा है। फिलहाल इन बच्चों को सरकारी आश्रय गृहों में रखा गया है, जिनकी उम्र 7 महीने से लेकर 4 साल के बीच है। तेलंगाना हाई कोर्ट ने इन बच्चों को सही परिवार में पहुंचाने की जिम्मेदारी सीडब्ल्यूसी को सौंपी है।
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क्या है बॉन्डिंग सेशन?
सीडब्ल्यूसी ने बच्चों और उन्हें कथित तौर पर खरीदने वाले दंपतियों के बीच बॉन्डिंग सेशन का आयोजन किया है। मेडचल-मलकजगिरी जिले के सीडब्ल्यूसी के अध्यक्ष एएम राजा रेड्डी ने कहा कि मानवीय आधार पर यह फैसला लिया गया है, क्योंकि ये बच्चे पहले से ही इन परिवारों के साथ रह रहे हैं, जिन्होंने कई मामलों में तीन साल तक उन्हें अपने बच्चों की तरह रखा है। इसके बाद भी उनकी टीमें यह देखेंगी कि कुछ महीनों के अंतराल के बाद इन लोगों को देखने पर बच्चे कैसी प्रतिक्रिया देते हैं। साथ ही माता-पिता के व्यवहार का मूल्यांकन करेंगी और फिर अंतिम फैसला लेंगी।
CWC के इस कदम पर उठ रहे सवाल
सीडब्ल्यूसी के इस कदम पर अब सवाल उठ रहे हैं। खास तौर पर तब जब पुलिस रिपोर्ट में कहा गया कि बच्चों को दूसरे शहरों में एजेंटों से इललीगल मॉनिटरिंग लेन-देन के जरिए दंपत्तियों ने खरीदा था। वकीलों के अनुसार, वे समझते हैं कि इन बच्चों का एक परिवार में बड़ा होना जरूरी है, लेकिन क्या वे उन लोगों को पुरस्कृत करके सही मिसाल कायम कर रहे हैं, जो पहले से ही कानूनी रूप से गलत हैं, जिसका भविष्य में दुरुपयोग हो सकता है।
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जानें क्या बोले सीडब्ल्यूसी के अफसर?
सीडब्ल्यूसी अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि माता-पिता पर सिर्फ उचित गोद लेने की प्रक्रिया का पालन करने में विफल रहने के लिए आरोप लगाया जा रहा है, न कि बाल तस्करी के लिए। उन्होंने हिंदू दत्तक ग्रहण और रखरखाव अधिनियम (HAMA) का हवाला देते हुए कानून की सीमाओं के भीतर काम किया है।