Supreme Court big desicion on YouTuber Samay Raina: सुप्रीम कोर्ट ने यूट्यूबर समय रैना समेत 3 कॉमेडियंस को दिव्यांग लोगों के खिलाफ असंवेदनशील टिप्पणी के मामले में अनोखा फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि वे अपने डिजिटल प्लेटफार्म पर महीने में कम से कम दो बार दिव्यांग लोगों को बुलाएं और उनकी प्रेरक कहानियां दिखाएं और जागरूकता पैदा करें और स्पाइनल मस्कुलर अट्रोफी (एसएमए) जैसे दुर्लभ विकारों से पीड़ित बच्चों के इलाज और असरदार इलाज के लिए धन जुटाएं.
CJI सूर्यकांत ने कहा, हमें उम्मीद है कि मामले की अगली सुनवाई से पहले ऐसे कुछ यादगार इवेंट होंगे. यह एक सामाजिक बोझ है जो हम आप पर (कॉमेडियन पर) डाल रहे हैं, सज़ा का बोझ नहीं. आप सभी समाज में अच्छी जगह वाले लोग हैं. अगर आप बहुत ज़्यादा पॉपुलर हो गए हैं तो इसे दूसरों के साथ शेयर करें. यह निर्देश क्योर SMA फाउंडेशन की उस याचिका पर आए हैं जिसमें दिव्यांग लोगों के खिलाफ असंवेदनशील टिप्पणी करने वाले कॉमेडियन के खिलाफ निर्देश मांगे गए थे.
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सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
कॉमेडियन समय रैना के शो में Spinal Muscular Atrophy से पीड़ित बच्चों का मज़ाक उड़ाए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपत्तिजनक कंटेंट को रोकने के लिए स्व: नियमन प्रणाली बेअसर साबित हो रही है. CJI सूर्य कांत और जस्टिस जॉयमाला बागची की बेंच ने आपत्तिजनक ऑनलाइन कंटेंट को लेकर चिंता जताई. कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर यूजर जेनरेटेड सामग्री के लिए कोई असरदार नियम/ दिशा निर्देश होने चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया पर दिव्यांगों को लेकर मजाक बनाने वालों के लिए सख्त कानून बनाने की जरूरत बताई है. CJI जस्टिस सूर्यकांत ने SG तुषार मेहता से कहा कि सरकार एक बहुत सख्त कानून के बारे में क्यों नहीं सोचती जो SC/ ST एक्ट की तरह हो, जहां दिव्यांग लोगों को नीचा दिखाने पर सख्त सज़ा का प्रावधान हो.
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सख्त कानून बनाए जाने की जरूरत
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि दिव्यागों का मज़ाक उड़ाने के मामलों के लिए क्या SC/ST एक्ट की ही तरह ही निषेधात्मक कानून नहीं बनाया जा सकता? सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्व नियमन (self regulation) कारगर साबित नहीं हुआ है. निगरानी के लिए एक निष्पक्ष, स्वायत्त प्रणाली ज़रूरी है ताकि अभिव्यक्ति की आज़ादी और कॉन्टेंट रेगुलेशन में संतुलन रखा जा सके.
जस्टिस बागची ने कहा कि जहां यूजर कंटेंट देश विरोधी या सामाजिक ताने बाने को नुकसान पहुंचाने वाला माना जाता है, तो क्या बनाने वाला इसकी ज़िम्मेदारी लेगा? क्या ऐसे मामले में सेल्फ-रेगुलेशन काफी होगा? सबसे बड़ी मुश्किल समय की है एक बार जब आपत्तिजनक मटीरियल अपलोड हो जाए तो जब तक प्रशासन रिएक्ट करे वह लाखों दर्शकों तक वायरल हो चुका होता है, आप इसे कैसे कंट्रोल करते हैं?
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सुप्रीम कोर्ट 4 हफ्ते बाद दोबारा सुनवाई करेगा
सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमनी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय नए दिशा निर्देश बनाने पर काम कर रहा है. सभी पक्षकारों से बातचीत चल रही है.
सुप्रीम कोर्ट 4 हफ्ते बाद दोबारा सुनवाई करेगा. सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को यह भी बताया कि Spinal Muscular Atrophy के महंगे इलाज को देखते हुए FUNDING के लिए CSR के ज़रिए मदद की योजना बनाने पर भी विचार चल रहा है. ईलाज पर 16 करोड़ रुपए का खर्च आता है फिलहाल कुछ मामलों में सरकार 50 लाख रु की मदद देती है.