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मुंह में रखे मरे चूहे, पानी नहीं मिला तो अब यही खाएंगे! किसानों का अजीब-ओ-गरीब प्रदर्शन

Farmers Unique Protest Against Government: तमिलनाडु के किसानों द्वारा अजीबोगरीब विरोध प्रदर्शन का एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसे देखकर आप भी कांप जाएंगे। यहां के किसानों ने मंगलवार को अपने मुंह में मरे हुए चूहे रखकर सरकार के खिलाफ अपना आक्रोश व्यक्त किया है। बताया गया है कि यहां किसान कावेरी जल विवाद […]

Farmers Unique Protest Against Government: तमिलनाडु के किसानों द्वारा अजीबोगरीब विरोध प्रदर्शन का एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसे देखकर आप भी कांप जाएंगे। यहां के किसानों ने मंगलवार को अपने मुंह में मरे हुए चूहे रखकर सरकार के खिलाफ अपना आक्रोश व्यक्त किया है। बताया गया है कि यहां किसान कावेरी जल विवाद को लेकर धरने पर बैठे हैं। ये मामला तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली का है। यहां के किसानों का आरोप है कि सरकार कावेरी नदी से पानी नहीं छोड़ रही है। इसके कारण वे गरीबी के गर्त में जा रहे हैं। उनका साफ कहना है कि अगर सरकार ने पानी नहीं छोड़ा तो वे चूहों का मांस खाने के लिए ही मजबूर होंगे।

किसानों ने दिखाई अपनी गरीबी

मंगलवार को हुए विरोध प्रदर्शन की बात करें तो किसानों ने चूहों को अपने मुंह में पकड़ रखा था। एक तरह से कह सकते हैं कि प्रतीकात्मक तौर पर वह मरे हुए चूहों का मांस खाना दिखाना चाहते थे। ये उनकी हताश स्थितियों का प्रतीक है, जो उनकी गरीबी का एक ज्वलंत प्रतीक भी है। माना जा रहा है कि यह एक स्पष्ट संकेत है कि किसान भोजन की कमी का सामना कर रहे हैं या फिर सामना करने वाले हैं। यह भी पढ़ेंः तमिलनाडु को कावेरी का पानी देने पर कर्नाटक में धरना-प्रदर्शन, कन्नड़ समर्थकों ने सीएम स्टालिन का किया सांकेतिक अंतिम संस्कार

पुरानी प्रथाओं को याद किया

एक रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि किसानों के इस अजीबोगरीब प्रदर्शन ने पुरानी प्रथाओं की यादें भी ताजा कर दी हैं। बताया जाता है कि पुराने समय में पूर्वज अकाल के दौर में भोजन की कमी का सामने करते थे। इस दौरान भोजन के तौर पर चूहों को खाने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता था। अधिकारियों का ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए अब किसानों ने यही विकल्प अपनाया है।

पुराना है कि तमिलनाडु के किसानों का विरोध

बता दें कि साल 2017 में तमिलनाडु के किसानों ने दिल्ली स्थित जंतर-मंतर पर करीब दो महीने तक विरोध प्रदर्शन किया था। कथित तौर पर उन्होंने ऋण माफी, संशोधित सूखा राहत पैकेज, कावेरी प्रबंधन समिति की स्थापना और अपने कृषि उत्पादों के लिए उचित मूल्य निर्धारण की मांगों के बीच एक हताश संकेत के रूप में अपने स्वयं के मल का उपभोग करने का सहारा लिया। देश की खबरों के लिए यहां क्लिक करेंः-


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