Shocking revelation on increasing diseases on youth: देश में बच्चों और किशोरों के बीच मानसिक तनाव और मानसिक बीमारियों के बढ़ते मामलों पर सरकार ने संसद में चिंता जताई है. लोकसभा में दिए गए जवाब में स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण के मुताबिक 13 से 17 साल की उम्र के करीब 7.3% किशोर किसी न किसी मानसिक समस्या से जूझ रहे हैं. यह आंकड़ा इस बात का संकेत है कि देश में युवा पीढ़ी के मानसिक स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देने की ज़रूरत है. सरकार ने इस स्थिति से निपटने के लिए बड़े पैमाने पर कदम उठाए हैं.
देश के 767 जिलों में जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम
देश के 767 जिलों में जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम चलाया जा रहा है. इस कार्यक्रम के तहत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर मानसिक स्वास्थ्य की जांच, परामर्श, दवाइयाँ और मनोसामाजिक सहायता उपलब्ध कराई जा रही है. ज़रूरत पड़ने पर रोगियों को जिला स्तर पर मौजूद 10-बेड वाले वार्ड में भर्ती भी किया जा सकता है. मंत्रालय ने यह भी बताया कि देशभर में 47 सरकारी मानसिक अस्पताल काम कर रहे हैं. इनमें NIMHANS (बेंगलुरु), तेजपुर का LGBRIMH और राँची का CIP जैसे प्रमुख संस्थान शामिल हैं. इसके अलावा, सभी AIIMS अस्पतालों में भी मानसिक स्वास्थ्य का इलाज उपलब्ध है, जिससे गंभीर मरीजों को बेहतर और विशेषज्ञ देखभाल मिल सके.
---विज्ञापन---
यह भी पढ़ें: Indigo फ्लाइट में आई दिक्कतों को देख रेलवे का बड़ा ऐलान, राजधानी समेत 37 ट्रेनों में बढ़ाए 116 कोच
---विज्ञापन---
छात्रों की मानसिक सेहत पर भी विशेष ध्यान
स्कूल और कॉलेज के छात्रों की मानसिक सेहत पर भी सरकार ने विशेष ध्यान दिया है. शिक्षा मंत्रालय की “मनोडर्पण” पहल के तहत छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों को तनाव और चिंता से जुड़ी समस्याओं पर सलाह और सहायता दी जाती है. वहीं, स्कूल हेल्थ एंड वेलनेस कार्यक्रम और राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत छात्रों के बीच नियमित रूप से जागरूकता सत्र और परामर्श आयोजित किए जाते हैं, ताकि वे मानसिक दबाव से बेहतर तरीके से निपट सकें. सरकार ने प्राथमिक स्वास्थ्य व्यवस्था में भी मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत किया है. देश के 1.81 लाख से अधिक उप-स्वास्थ्य केंद्रों और पीएचसी को आयुष्मान आरोग्य मंदिर में बदला गया है. इन केंद्रों पर अब मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी सेवाएँ भी उपलब्ध हैं और इसके लिए स्वास्थ्य कर्मियों को खास प्रशिक्षण दिया गया है.
टेली-मानस नाम की राष्ट्रीय हेल्पलाइन
मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की आसानी से उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने टेली-मानस नाम की राष्ट्रीय हेल्पलाइन शुरू की है. इस पर अब तक करीब 30 लाख लोग मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर बात कर चुके हैं. हेल्पलाइन के साथ-साथ मोबाइल ऐप और वीडियो कॉल की सुविधा भी शुरू की गई है, जिससे लोग घर बैठे विशेषज्ञों से सलाह ले सकते हैं. सरकार का कहना है कि मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता बढ़ाने और इलाज को और आसान बनाने के लिए प्रयास लगातार जारी रहेंगे, ताकि बच्चे, किशोर और आम जन सभी समय पर मदद पा सकें
यह भी पढ़ें: हेल्थकेयर, फूड सिक्योरिटी और माइग्रेशन… PM मोदी और पुतिन में द्विपक्षीय वार्ता, दोनों देशों में हुए 7 समझौते