TrendingInd Vs AusIPL 2025UP Bypoll 2024Maharashtra Assembly Election 2024Jharkhand Assembly Election 2024

---विज्ञापन---

माइनोरिटी अफेयर्स मिनिस्ट्री की स्कॉलरशिप स्कीम में सैकड़ों करोड़ का घोटाला; अब CBI खोलेगी परतें

नई दिल्ली: केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। मंत्रालय ने स्कॉलरशिप में घपले को लेकर अपने स्तर पर देश के 34 राज्यों में पड़ते 100 जिलों में जांच कराई ताे प्राथमिक तौर पर घोटाले के पुख्ता सबूत मिले हैं। इसके बाद हजारों करोड़ रुपए के घोटाले की जांच […]

नई दिल्ली: केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। मंत्रालय ने स्कॉलरशिप में घपले को लेकर अपने स्तर पर देश के 34 राज्यों में पड़ते 100 जिलों में जांच कराई ताे प्राथमिक तौर पर घोटाले के पुख्ता सबूत मिले हैं। इसके बाद हजारों करोड़ रुपए के घोटाले की जांच का जिम्मा मंत्रालय ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंप दिया है। ये है पूरा मामला...
  • पहली क्लास से लेकर हायर एजुकेशन तक के स्टूडेंट्स को 4 हजार से 25 हजार रुपए सालाना की स्कॉलरशिप देता है अल्पसंख्यक मंत्रालय

  • मंत्रालय ने आंतरिक तौर पर NCAER से जांच करवाई तो सिर्फ 5 साल की रकम की पड़ताल में 1,572 में से 830 इंस्टिट्यूट्स कागजों में ही चलते मिले

दरअसल अल्पसंख्यक मंत्रालय की तरफ से मदरसों और दूसरे माइनॉरिटी संस्थानों में पढ़ने वाले पहली क्लास से लेकर हायर एजुकेशन तक के स्टूडेंट्स को 4 हजार से 25 हजार रुपए सालाना की स्कॉलरशिप दी जाती है। मंत्रालय के मुताबिक 2007 से 2022 तक इस योजना पर 22 हजार करोड़ की स्कॉलरशिप दी है। अब पता चला है कि इस स्कालरशिप स्कीम में फर्जी संस्थान और फर्जी छात्रों के जरिए अल्पसंख्यक मंत्रालय द्वारा दिए जाने वाले करोड़ों का घोटाला हुआ है। सूत्रों के मुताबिक आशंकाओं और कुछ शिकायतों के बाद केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय ने आंतरिक तौर पर NCAER से जांच करवाई तो सामने आए तथ्यों ने सबके होश उड़ा दिए। अब तक की जानकारी पर गौर किया जाए तो इस जांच में करीब 1,572 में से सिर्फ 5 साल की रकम की जांच में 830 इंस्टिट्यूट्स फर्जी मिले हैं। ये इंस्टिट्यूट सिर्फ कागजों पर चल रहे थे, यानि जांच में 53 फीसदी संस्थान फेक या नॉन ऑपरेटिव निकले। यह भी पढ़ें: मोदी सरकार की इस योजना के मुरीद हुए WHO प्रमुख टेड्रोस, बोले- ये दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम इन संस्थानों के 229 ऑफिसर, यहां तक कि नोडल और जिला अधिकारी भी फर्जी निकले। इनमें छत्तीसगढ़ में 62, राजस्थान में 99, असम में 68, कर्नाटक में 64 उत्तराखंड में 60, मध्य प्रदेश में 40, बंगाल में 39, उत्तरप्रदेश में 44 फर्जी अधिकारी पाए गए हैं। इन 830 इंस्टिट्यूट्स के नाम पर 144.83 करोड़ का घोटाला सामने आया है। इसके बाद मंत्रालय ने बाकी माइनोरिटी इंस्टिट्यूट्स की जांच करवाने का फैसला लिया। हालांकि फिलहाल मंत्रालय ने 830 घोस्ट इंस्टीट्यूट्स में सामने आए 144 करोड़ के घोटाले की जांच ही सीबीआई को सौंपी है। फिलहाल इनका अकाउंट फ्रीज किया गया है, वहीं बाकी संस्थानों की जांच मंत्रालय अपने स्तर पर कर रहा है। अगर उसमे कोई गड़बड़ी आती है तो उन्हें भी सीबीआई को सौंप दिया जाएगा।

कैसे किया गया घोटाला?

फर्जी ढंग से स्कॉलरशिप की राशि को फर्जी अकाउंट और गलत नाम पर ट्रांसफर करने का गोरखधंधा 2008 से चल रहा था। इसमें संस्थान के नोडल ऑफिसर, डिस्ट्रिक्ट का कोऑर्डिनेटर अधिकारी, बैंक के अधिकारी और कर्मचारी और राज्य स्तर के अधिकारी की मिलीभगत की जानकारी प्रकाश में आया है। मिली जानकारी के मुताबिक गलत आधार कार्ड का इस्तेमाल, गलत मोबाइल नंबर का इस्तेमाल, गलत संस्थान का इस्तेमाल, अलग-अलग जगह गलत ढंग से करके करोड़ों का गबन किया गया है। जैसे एक मोबाइल नंबर पर 22 बच्चे रजिस्टर्ड थे। जांच के दौरान यह जानकारी सामने आई कि एक व्यक्ति के 22 बच्चे नौवीं क्लास में एक साथ कैसे पढ़ सकते हैं। इसी तरह से केरल के सेंसिटिव जिला माने जाने वाले मल्लपुरम में पिछले 4 साल में 8 लाख बच्चों को स्कॉलरशिप की राशि गई। मल्लपुरम में 2018-19 में 1.71 लाख,2019-20 में 1.79 लाख, 2020-21 में 1.78 लाख और 2021-22 में 1.81 लाख स्कॉलरशिप दी गई।

स्कॉलरशिप की राशि आते ही ड्रॉप आउट रेट बढ़े

यह मामला भी प्रकाश में आया की स्कॉलरशिप की राशि अकाउंट में जाने के बाद छात्रों के बीच ड्रॉपआउट का कैसे बढ़ता चला जाता था । इससे भी मंत्रालय को जांच जांच करने में एक दिशा मिला। मंत्रालय को मिली जानकारी के मुताबिक नौवीं कक्षा में स्कॉलरशिप लेने के बाद 67 परसेंट, कक्षा 8 में स्कॉलरशिप लेने के बाद 67 परसेंट , कक्षा 7 में स्कॉलरशिप लेने के बाद 68 परसेंट ड्रॉपआउट रेट रहा। हर एक साल स्कॉलरशिप के लिए नए नाम ,नए अकाउंट के साथ आ जाता था, लिहाजा मंत्रालय को चौंकाने वाले तथ्य मिले। दरअसल इस पूरे स्कॉलरशिप योजना के 80 फ़ीसदी बेनिफिशियरी मुस्लिम समुदाय के छात्र हैं। देशभर में कुल 1.75 लाख मदरसे हैं, जिसमे से 27हजार वेरिफाइड हैं। पढ़ें एक और अहम खबर: मध्यप्रदेश में नूंह जैसा दंगा कराने की प्लानिंग…’, दिग्विजय सिंह का BJP पर गंभीर आरोप जांच में पाया गया कि असम के उदलगिरी में साइबर कैफे का इस्तेमाल करके बच्चों का एनरोलमेंट स्कॉलरशिप योजना में किया गया । इस जगह पर जांच करने का अधिकारियों को जान से मारने की धमकी भी मिली थी। इसकी भी जांच सीबीआई को सौंप गई है। वैसे ही वैसे ही बिहार के सीतामढ़ी में मदरसा अहमदिया में 95 फीस दी स्टूडेंट साइबर कैफे से एनरोलमेंट वाले हैं। वहीं यूपी के मसूदपुर में मसूदपुर में मस्तीमा दारुल उलूम मस्तीमा दारुल उलूम पर भी जांच जारी है वैसे ही छत्तीसगढ़ के कांकेर में गर्ल्स आश्रम सरंडी स्कूल में माइनॉरिटी बच्चों की जगह आदिवासी बच्चे पाए गए जबकि स्कॉलरशिप,माइनोरिटी बच्चों के नाम पर उठाया जाता रहा । कर्नाटक में 73 स्कूल फर्जी पाए गए।

मामला कैसे खुला?

साल 2020 में असम के माइनॉरिटी बोर्ड ने इस मामले का खुलासा राज्य में किया था और केंद्रीय मंत्रालय को भी इस बारे में जानकारी सांझा की थी। कुछ अन्य राज्यों बिहार, झारखंड, पंजाब, छत्तीसगढ़ आदि में भी स्कॉलरशिप घोटाले का मामला प्रकाश में आया था। इसके बाद एक सबसे आश्चर्यजनक बात सामने आई है कि मंत्रालय के नियम के तहत आज की तारीख में 20 हजार से कम सालाना आय वाले के बच्चों को ही इस योजना का लाभ मिलता है। मंत्रालय इस पहलू की भी जांच कर रहा है कि ऐसा सही में है या इसमें भी घालमेल है।

एक चिंता यह भी बड़ी विकराल

सरकार इस बात को लेकर भी चिंतित है कि मल्लपुरम केरल का ऐसा जिला है, जहां आतंकी संगठन आईएसआईएस की चेन मिली है। वहां इस तरह से आसानी से फर्जी अकाउंट खुलने से सरकार की चिंता की लकीरें बढ़ा दी हैं। इसी तरह से असम के नगांव में एक बैंक की एक शाखा में 66 हजार बैंक अकाउंट स्कॉलरशिप लेने वाले छात्रों के खुले। यहां उल्लेखनीय पहलू यह है कि यह इलाका बांग्लादेशी मुसलमान के घुसपैठ का केंद्र रहा है। इसको लेकर भी केंद्र सरकार चिंतित है कि इतने बड़े स्तर पर बैंक की शाखा में गड़बड़ी कैसे हुई। इतना ही नही 1.32 लाख बच्चे बिना हॉस्टल में रहे, हॉस्टल में रहने वाले छात्रों को मिलने वाली राशि उठाते रहे। सामान्य छात्र को सालाना 4 हजार रुपए और हॉस्टल में रहने वाले को 9 हजार रुपए सालाना स्कॉलरशिप दी जाती है।

पहले भी हुआ था खुलासा

ऐसा नहीं है कि पहली बार इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। इससे पहले माइनॉरिटी अफेयर्स मिनिस्टर मुख्तार अब्बास नकवी के कार्यकाल में भी पांच राज्यों के मामले में रेड फ्लैग आया था। उस वक्त भी केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने यह कहा था कि मोदी सरकार घोटाले को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाती है। नवंबर 2020 में भी पांच राज्यों में इस घोटाले की जांच के लिए सीबीआई को चयनित कर मंत्रालय ने जांच के आदेश दिए थे।   और पढ़िए – देश से जुड़ी अन्य बड़ी ख़बरें यहां पढ़ें


Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 and Download our - News24 Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google News.