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DY चंद्रचूड़ के CJI बनने के बाद से सुप्रीम कोर्ट ने 6844 मामलों का किया निपटारा

Supreme Court: डी वाई चंद्रचूड़ के भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पद संभालने के बाद से सुप्रीम कोर्ट ने 16 दिसंबर तक 6,844 मामलों का निपटारा किया है। 9 नवंबर 2022 को डीवाई चंद्रचूड़ ने भारत के 50 वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभाला था। न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, वाई […]

Supreme Court: डी वाई चंद्रचूड़ के भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पद संभालने के बाद से सुप्रीम कोर्ट ने 16 दिसंबर तक 6,844 मामलों का निपटारा किया है। 9 नवंबर 2022 को डीवाई चंद्रचूड़ ने भारत के 50 वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभाला था। न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, वाई चंद्रचूड़ के कार्यभार संभालने के बाद से 9 नवंबर से 16 दिसंबर तक सुप्रीम कोर्ट 6,844 मामलों का निपटारा किया है, जबकि इस अवधि के दौरान सुप्रीम कोर्ट में 5,898 नए मामले आए हैं। सुप्रीम कोर्ट प्रशासन की ओर से ये आंकड़े जारी किए गए हैं।  और पढ़िए –  केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव का बड़ा बयान, कहा-अगले मानसून सत्र तक टेलीकॉम व डिजिटल डेटा पर आएंगे बिल

डीवाई चंद्रचूड़ ने त्वरित निपटान पर दिया था जोर

सुप्रीम कोर्ट प्रशासन के अनुसार 9 नवंबर से 16 दिसंबर तक कुल 2,511 ट्रांसफर और जमानत याचिकाओं का निस्तारण किया गया है। बता दें कि CJI चंद्रचूड़ ने नवंबर में जमानत और ट्रांसफर याचिकाओं के त्वरित निपटान पर जोर दिया था और घोषणा की थी कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़े मामलों को प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने कहा था कि जमानत के मामलों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए क्योंकि वे व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित हैं। उन्होंने कहा था कि शीर्ष अदालत की प्रत्येक पीठ सप्ताह के प्रत्येक दिन 10 जमानत मामलों और 10 स्थानांतरण याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। स्थानांतरण याचिका के मामलों में वैवाहिक विवाद शामिल होते हैं जहां एक पक्ष मामले को दूसरी जगह स्थानांतरित करना चाहता है। केवल सर्वोच्च न्यायालय के पास एक ही राज्य या अन्य राज्य में मामलों को एक अदालत से दूसरी अदालत में स्थानांतरित करने की शक्ति है।  और पढ़िए –  ‘जवानों का अपमान नहीं करना चाहिए’ विदेश मंत्री जयशंकर ने राहुल गांधी की टिप्पणी पर किया पलटवार

कानून मंत्री के बयान के बाद सामने आया डेटा

शीर्ष अदालत में निपटान की उच्च दर का डेटा तब आया जब कानून और न्याय मंत्री किरण रिजिजू ने राज्यसभा में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट को ऐसे समय में ज़मानत अर्जियों और तुच्छ जनहित याचिकाओं पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए जब मामलों की पेंडेंसी इतनी अधिक है। शुक्रवार को सीजेआई ने टिप्पणी की, "यदि सर्वोच्च न्यायालय को व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना था, तो हम यहां किस लिए हैं? हम यहां अंतरात्मा की आवाज और नागरिकों की स्वतंत्रता के लिए पुकार का जवाब देने के लिए हैं।"  और पढ़िए – देश से जुड़ी खबरें यहाँ पढ़ें


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