Artificial Tears Eye Drop: भारतीय दवा कंपनी ग्लोबल फार्मा हेल्थकेयर की आई ड्रॉप एज्रीकेयर आर्टिफिशियल टीयर्स भारत में स्वास्थ्य मानकों पर खरा पाया गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार सैंपल्स की जांच में दवा स्टैंडर्ड क्वालिटी की निकली है।
दरअसल, सीडीएससीओ और तमिलनाडु ड्रग रेगुलेटर ने कंट्रोल्ड सैंपल्स और आर्टिफिशियल टियर्स को बनाने में इस्तेमाल हुए कच्चे सामान के सैंपल फरवरी में लिए थे।
न्यूयॉर्क टाइम्स ने अमेरिकी रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के हवाले से जानकारी दी थी कि इस दवा के इस्तेमाल से तीन लोगों की जान चली गई, जबकि आठ लोगों के आंखों की रोशनी चली गई।
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यूएसएफडीए को लिखा लेटर
एनआईआई ने स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से बताया है कि रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र अमेरिका का ड्रग रेगुलेटर नहीं है। फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन यानी यूएसएफडीए ड्रग रेगुलेटर है। इस संस्था ने अभी तक कुछ नहीं कहा है। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने यूएसएफडीए को लेटर लिखा है। अभी तक ग्लोबल फार्मा हेल्थकेयर के किसी भी प्रोडक्ट को बैन नहीं किया गया है।
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उज्बेकिस्तान में कफ सीरप से 18 बच्चों की हुई थी मौत
पिछले साल दिसंबर में भारतीय दवा कंपनी मैरियन बायोटेक के कफ सीरप डॉक -1 के इस्तेमाल से उज्बेकिस्तान में 18 बच्चों की मौत का मामला सामने आया था। यह कंपनी यूपी के नोएडा में स्थित है। बाद में नमूनों की जांच की गई तो मिलावटी पाया गया था। इसके बाद मार्च में कंपनी के तीन अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया है।
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