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क्या भारत और US के बीच ट्रेड डील का रास्ता हुआ साफ? आखिर क्यों होने लगी ये चर्चा

रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिकी अधिकारियों की टीम जल्द भी भारत आ सकती है. बताया जा रहा है कि ये टीम ट्रेड डील के अनसुलझे मुद्दों पर चर्चा करेगी.

भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील जल्द फाइनल हो सकती है. ये संकेत खुद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दिए हैं. विदेश मंत्री ने एक कार्यक्रम एचटी लिडरशिप सम्मिट में कहा कि जल्द ही यह ट्रेड डील हो सकती है. हालांकि, उन्होंने ये नहीं बताया कि यह ट्रेड डील कब फाइनल होगी. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि डिप्लोमेसी में अचानक चीजें पलट भी सकती हैं.

कब होगी डील?

विदेश मंत्री ने कहा कि डील को लेकर कई दौर की बातचीत हो चुकी है. लेकिन यह डील कब और किन शर्तों पर होगी, अभी इस पर कुछ नहीं कहा जा सकता. उन्होंने कहा कि “अगर आप मुझसे पूछते हैं कि क्या यह जल्द हो सकती है, तो मेरा जवाब होगा, हां.”

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हालांकि, उन्होंने डील के लिए कोई भी टाइमलाइन बताने से इनकार कर दिया. साथ ही कहा कि जब डिप्लोमेसी की बात आती है, तो "आप हमेशा आशावादी रहते हैं, लेकिन अचानक चीजें पलट सकती हैं.”

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मजदूर और किसानों के हित अहम

विदेश मंत्री ने कहा कि इस डील को लेकर हमें हार्ड नेगोशिएशन करनी होगी. हमें मजदूरों, किसानों और मिडल क्लास के हितों को ध्यान में रखना होगा. अगर हम अमेरिका के साथ ट्रेड डील को देखते हैं तो हमें अपने विवेक का ज्यादा इस्तेमाल करना होगा. भारत अपने हितों के साथ खड़ा होगा.

साथ ही विदेश मंत्री ने कहा कि किसी भी तरह के मतभेद को दूर करने के लिए बातचीत जरूरी है. उन्होंने कहा भारत-अमेरिका के संबंधों के लिए व्यापार अहम मुद्दा है. दोनों देशों के बीच एक उचित सहमति की उम्मीद है. उन्होंने बताया कि हर अमेरिकी राष्ट्रपति का अपना यूनिक नजरिया रहा है. लेकिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के तरीके पहले वाले राष्ट्रपतियों से बिल्कुल अलग हैं.

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जल्द आने वाली है अमेरिकी टीम

रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिकी अधिकारियों की टीम जल्द भी भारत आ सकती है. बताया जा रहा है कि ये टीम ट्रेड डील के अनसुलझे मुद्दों पर चर्चा करेगी, ताकि डील की राह आसान हो.

भारत का क्या है ऐतराज

ट्रेड डील को लेकर भारत कई अहम बिंदुओं पर ऐतराज जताता आया है. भारत अपना बाजार डेयरी ओर पॉल्ट्री सेक्टर विदेशी कंपनियों के लिए नहीं खोलना चाहता. अमेरिका भारत पर मक्का, सोयाबीन, गेहूं, इथेनॉल, फल और मेवों जैसे एग्रीकल्चर प्रोडेक्ट्स के लिए अपने बाजार खोलने का दबाव भी बनाता रहा है. भारत खुद कृषि प्रधान देश है, ऐसे में भारत ऐसे किसी भी कदम को मंजूर नहीं कर सकता.  भारत का कहना है कि अमेरिका ज्यादात्तर जेनेटिकली मोडिफाइड मक्का और सोयाबीन उगाता है. भारत इन्हें स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए नुकसानदायक मानता है. डेयरी सेक्टर की बात करें तो भारत में इसकी वजह से लाखों लोग आजीविका कमाते हैं. अगर अमेरिकी कंपनियों के लिए मार्केट खोला जाता है तो उनके लिए सही नहीं होगा. 


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