Russia-Ukraine war: यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत के हस्तक्षेप की मांग की है। जेलेंस्की ने मेडिकल किट समेत अतिरिक्त मानवीय सहायता का भी अनुरोध किया है। बता दें कि भारत की चार दिवसीय यात्रा के दौरान केंद्रीय विदेश और संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी को यूक्रेन की उप विदेश मंत्री एमाइन झापरोवा ने यह पत्र सौंपा था।
मीनाक्षी लेखी और एमाइन झापरोवा ने पारस्परिक हित के द्विपक्षीय और वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। मीनाक्षी लेखी ने कहा कि यूक्रेन को बढ़ी हुई मानवीय सहायता का आश्वासन दिया गया है। वहीं, झापरोवा ने मीनाक्षी लेखी के साथ बैठक को फलदायी बताया।
एमाइन झापरोवा ने मंगलवार को विश्व मामलों की भारतीय परिषद (आईसीडब्ल्यूए) में अपने संबोधन से पहले मीनाक्षी लेखी से मुलाकात की। पिछले साल फरवरी में रूस-यूक्रेन युद्ध छिड़ने के बाद से वह भारत का दौरा करने वाली पहली उच्च रैंकिंग वाली यूक्रेनी अधिकारी हैं।
आईसीडब्ल्यूए में अपने संबोधन के बाद एक सवाल का जवाब देते हुए, झापरोवा ने कहा कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की भारत में जी20 शिखर सम्मेलन को संबोधित करना चाहेंगे। यूक्रेनी राष्ट्रपति ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए जी20 बाली शिखर सम्मेलन को संबोधित किया था।
यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध पर उप विदेश मंत्री ने कहा कि एक वैश्विक नेता और जी20 के वर्तमान अध्यक्ष के रूप में, भारत शांति लाने में एक बड़ी भूमिका निभा सकता है और उम्मीद है कि भारतीय अधिकारी जल्द ही कीव का दौरा करेंगे।
पीएम मोदी ने पुतिन और जेलेंस्की से कई बार कर चुके हैं बात
पिछले साल फरवरी में रूस के साथ युद्ध शुरू होने के बाद से, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ-साथ यूक्रेनी नेता वलोडिमिर ज़ेलेंस्की से कई बार बात की है।
पिछले साल 4 अक्टूबर को राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की के साथ फोन पर बातचीत में पीएम मोदी ने कहा कि भारत किसी भी शांति प्रयासों में योगदान देने के लिए तैयार है। इससे पहले सितंबर में, पीएम मोदी ने उज्बेकिस्तान के समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के मौके पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की थी। युद्ध छिड़ने के बाद से दोनों नेताओं के बीच पहली बैठक में पीएम मोदी ने पुतिन से कहा कि आज का युग युद्ध का नहीं है और बातचीत ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है।