TrendingYear Ender 2025T20 World Cup 2026Bangladesh Violence

---विज्ञापन---

नहीं रहे कंप्यूटर साइंस के ‘पितामह’, कौन थे राजारमन? जिनका 92 साल की उम्र में निधन

Prof. Rajaraman: अध्यापक का किसी भी छात्र के जीवन में बहुत योगदान होता है. वह एक मामूली से छात्र की प्रतिभा को पहचानकर नई उड़ान देने का काम करता है. ऐसे ही खास लोगों में प्रोफेसर राजारमन का नाम भी शामिल है. हालांकि, वह अब इस दुनिया में नहीं रहे. 92 साल की उम्र में उनका निधन हो गया.

Photo CRedit- News24GFX

Prof. Rajaraman: प्रोफेसर वैद्येश्वरन राजारमन का शनिवार को निधन हो गया. प्रोफेसर को भारत में कंप्यूटर विज्ञान शिक्षा के 'पितामह' कहा जाता था. उनके निधन का कारण बढ़ती उम्र के साथ आई बीमारियां थीं. प्रोफेसर राजारमन के छात्र ऐसे लोग रहे हैं, जो आज जाने-माने नाम हैं. उनकी स्टूडेंट लिस्ट में इंफोसिस के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति का भी नाम शामिल है. इसके अलावा, IIT कानपुर में कंप्यूटर साइंस में भारत का पहला फॉर्मल एकेडमिक प्रोग्राम स्थापित करने में राजारमन का बड़ा योगदान रहा है.

तकनीकी क्रांति की रखी नींव

भारत में कंप्यूटर विज्ञान शिक्षा के पितामह प्रोफेसर वैद्येश्वरन राजारमन अब इस दुनिया में नहीं रहे. उन्होंने टाटानगर स्थित अपने घर पर आखिरी सांसें लीं. प्रोफेसर के नाम कई बड़ी उपलब्धियां हैं, जिसमें 1965 में IIT कानपुर कंप्यूटर साइंस में भारत का पहला फॉर्मल एकेडमिक प्रोग्राम शामिल है. वही थे जिन्होंने देश में तकनीकी क्रांति की नींव रखी थी. प्रोफेसर का जन्म 1933 में हुआ था. इस दौरान उनका 6 दशक का जीवन कंप्यूटर साइंस के नाम रहा है.

---विज्ञापन---

ये भी पढ़ें: ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों को इलाज में मिलेगा फायदा, IIT कानपुर के छात्रों ने तैयार की ये गजब की डिवाइस

---विज्ञापन---

फकीर चंद कोहली और नारायण मूर्ति के टीचर

वैद्येश्वरन राजारमन के छात्रों में इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति और TCS के पहले CEO फकीर चंद कोहली का नाम शामिल है. नारायण मूर्ती उनको हर एक छात्र के लिए गार्जियन के तौर पर मानते हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, नारायण मूर्ति ने कहा कि 'वह हर एक छात्र को सही मार्ग दिखाकर उसका मार्गदर्शन करते थे.'

राजारमन की उपलब्धियां

राजारमन 1982 से 1994 तक IISc में सुपरकंप्यूटर एजुकेशन एवं रिसर्च सेंटर (SERC) के अध्यक्ष के तौर पर रहे. जहां पर उन्होंने भारत की सुपरकंप्यूटिंग और समानांतर कंप्यूटिंग (Parallel) क्षमताओं के लिए काम किया. इसके अलावा, उन्होंने 1987 में प्रधानमंत्री की विज्ञान सलाहकार परिषद द्वारा गठित एक समिति की अध्यक्षता भी की. देश के लिए योगदान देने के लिए राजारमन को शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार (1976) और 1998 में पद्म भूषण मिला.

ये भी पढ़ें:IIT Kanpur के रोबोटिक डॉग से भिड़ा असली कुत्ता, लड़ाई का वीडियो हुआ वायरल


Topics:

---विज्ञापन---