M S Swaminathan: प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन का 28 सितंबर को निधन हो गया था। आज 9 फरवरी 2024 को उन्हें भारत रत्न देने का ऐलान किया गया है। पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर यह जानकारी दी थी। उन्होंने चौधरी चरण सिंंह, पीवी नरसिम्हाराव और एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न देने की घोषणा कर दी। मोदी ने उनके योगदान को अपने ब्लॉग के जरिए याद किया था। पीएम ने लिखा है कि एमएस स्वामीनाथन की दृढ़ प्रतिबद्धता के कारण कृषि को नई दिशा मिली। उनकी दूरदर्शिता ने कृषि समृद्धि के लिए एक नया युग शुरू किया था। उनके शानदार योगदान के कारण ही खाद्य सुरक्षा में क्रांति आई, जिससे भारत को विश्व स्तर पर अनोखी पहचान मिली।
पीएम ने कहा था कि वे भारत और यहां के किसानों से प्यार करते थे। हमेशा चाहते थे कि किसान तरक्की करे। वे चाहे तो अच्छे अकादमिक पद पर जा सकते थे। लेकिन 1943 के बंगाल अकाल ने उनके जीवन की दिशा बदल दी। जिसके बाद ठान लिया था कि अब किसान को संपन्न बनाने के लिए काम करेंगे। छोटी सी उम्र में डॉ. नॉर्मन बोरलॉग के संपर्क में आकर जीजान से काम किया। 1950 में अमेरिका ने एक संकाय पद की पेशकश की थी, लेकिन उन्होंने इसलिए ठुकरा दिया, क्योंकि सिर्फ भारत के लिए काम करना चाहते थे।
It is a matter of immense joy that the Government of India is conferring the Bharat Ratna on Dr. MS Swaminathan Ji, in recognition of his monumental contributions to our nation in agriculture and farmers’ welfare. He played a pivotal role in helping India achieve self-reliance in… pic.twitter.com/OyxFxPeQjZ
— Narendra Modi (@narendramodi) February 9, 2024
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पीएम ने कहा कि वे हर चुनौती में देश के साथ खड़े रहे। देश को आत्मनिर्भर बनाने के रास्ते पर लेकर गए। आजादी से पहले देश भोजन की कमी से जूझ रहा था। आजादी के बाद 1960 में भारत ने काल देखे। तब स्वामीनाथन की प्रतिबद्धता से भारत ने कृषि में एक नए युग की शुरुआत की थी। भारत ने गेहूं और कृषि में विशिष्ट उपलब्धियां हासिल करनी शुरू की। जिसके बाद भारत आत्मनिर्भर राष्ट्र बन गया। भारतीय हरित क्रांति के जनक वाकई स्वामीनाथन थे।
दुनिया के सामने दिखा था भारत का दम
इस हरित क्रांति ने कर सकते हैं भावना की झलक को दुनिया के सामने दिखाया। ये दिखाया कि अगर हमारे आगे 100 करोड़ चुनौतियां हैं, तो उन पर काबू पाने के लिए 100 करोड़ दिमाग भी हैं। प्रोफेसर स्वामीनाथन के योगदान को हरित क्रांति के 5 दशक बाद भुलाया नहीं जा सकता है। पीएम ने कहा कि उन्होंने आलू को तबाह करने वाले परजीवियों से निपटने के लिए भी शोध की। आलू को ठंड से कैसे बचाना है। 1990 में बाजरा की फसल को लेकर शोध की।
मोदी ने कहा कि जब 2001 में वे गुजरात के सीएम थे, तब वे प्रदेश की मिट्टी को बेहतर बनाने के संबंध में उनसे मिले थे। तब गुजरात कृषि के मामले में इतना संपन्न नहीं था। साथ ही सुपर चक्रवात, सूखे और भूकंप जैसी परिस्थितियों से निपट रहा था। लेकिन उनके बहुमूल्य सुझावों के कारण गुजरात तरक्की के पथ पर चढ़ गया। पीएम बनने के बाद भी उनकी बातचीत जारी थी। वे 2016 में उनसे अंतरराष्ट्रीय कृषि जैव विविधता कांग्रेस में मिले थे। बाद में उनकी भेंट 2017 में दो-भाग वाली पुस्तक श्रृंखला लॉन्च के दौरान हुई थी।