Prime Minister Narendra Modi Five Big Message To Opposition: 'ड्रामा नहीं, डिलीवरी चाहिए, नारा नहीं नीति चलेगी…', इन सख्त संदेशों के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने जब राष्ट्र के नाम अपने संबोधन की शुरुआत की तो उनकी वजह स्पष्ट थी कि विपक्ष मतभदों को भुलाकर संसद में कानूनों को पारित कराने के लिए मिलकर काम करे, ताकि मानसून सत्र की तरह हंगामे की स्थिति न आए. बिहार चुनावों में हुई हार को लेकर विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि जो अशांत हैं वो सदमे से बाहर आएं. यहां ड्रामा करने की जगह डिलीवरी पर जोर दें. जो भी नारे लगाना चाहता है, पूरा देश उनके साथ है. बिहार चुनावों में हार के दौरान आप यह कह चुके हैं, लेकिन यहां नीति पर ज़ोर होना चाहिए, नारों पर नहीं."
शीतकालीन सत्र केवल एक रस्म नहीं
प्रधानमंत्री ने कहा, संसद का यह शीतकालीन सत्र केवल एक रस्म नहीं है. देश की प्रगति को गति देने के प्रयास जारी हैं और यह शीतकालीन सत्र उसमें ऊर्जा भी भरेगा. मुझे इस बात का पूरा विश्वास है. "कुछ दल हार स्वीकार ही नहीं कर सकते. मुझे उम्मीद थी कि समय के साथ, बिहार चुनाव हारने के बाद नेता खुद को संभाल लेंगे, लेकिन कल उनके बयानों से साफ़ ज़ाहिर है कि हार ने उन्हें पूरी तरह से विचलित कर दिया है. मैं सभी दलों से आग्रह करता हूँ कि शीतकालीन सत्र हार से पैदा हुई हताशा का मैदान न बने और न ही जीत से पैदा हुए अहंकार का अखाड़ा बने. भारत ने लोकतंत्र को जिया है. लोकतंत्र का उत्साह और जोश समय-समय पर लोकतंत्र में विश्वास को मज़बूत करने वाले तरीकों से अभिव्यक्त हुआ है. हाल ही में हुए बिहार चुनावों में देखा गया मतदान प्रतिशत लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है
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राष्ट्र निर्माण के लिए सकारात्मक सोच ज़रूरी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि राजनीति में नैगेटिविटी ठीक नहीं. राष्ट्र निर्माण के लिए पॉजिटिव सोच जरूरी है. नैगेटिविटी को किनारे रखकर राष्ट्र निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए."
विपक्ष को संदेश देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि उन्हें लगता है कि राजनीतिक दल बिहार में अपनी हालिया हार से उबर सकते थे, लेकिन स्पष्ट रूप से वे अभी भी अशांत हैं. "विपक्ष को संसद में मज़बूत और प्रासंगिक मुद्दे उठाने चाहिए. चुनावी हार की निराशा से बाहर आकर भाग लेना चाहिए. मुझे लगा था कि बिहार चुनाव को काफ़ी समय हो गया है, इसलिए वे खुद को संभाल लेंगे, लेकिन कल ऐसा लग रहा था कि हार ने उन्हें स्पष्ट रूप से प्रभावित किया है."
हताशा का मैदान न बने शीतकालीन सत्र
प्रधानमंत्री मोदी ने सभी दलों से आग्रह किया कि शीतकालीन सत्र हार से पैदा हुई हताशा का मैदान न बने और न ही जीत से पैदा हुए अहंकार का अखाड़ा बने. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "इस सत्र में इस बात पर ध्यान केंद्रित होना चाहिए कि संसद देश के लिए क्या सोच रही है, संसद देश के लिए क्या करना चाहती है और संसद देश के लिए क्या करने जा रही है. विपक्ष को भी अपनी ज़िम्मेदारी निभानी चाहिए और चर्चा में मज़बूत मुद्दे उठाने चाहिए." उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि संसद को राष्ट्रीय विकास और लोकतांत्रिक ज़िम्मेदारियों पर केंद्रित रहना चाहिए.
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