नई दिल्ली: पर्यावरण को नुकसान पहुचाने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने हरियाणा सरकार पर सख्त कार्रवाई की है। एनजीटी ने हरियाणा के मुख्य सचिव को पर्यावरण को लगातार हो रहे नुकसान के लिए पर्यावरण मुआवजे के रूप में 100 करोड़ रुपये की राशि जमा करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह आदेश दिया है। अपने आदेश में एनजीटी ने इस मामले में हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष की अध्यक्षता में नौ सदस्यीय समिति का भी गठन करने का निर्देश दिया है।
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पेश मामले में एनजीटी गुरुग्राम के बांधवारी में स्थित लैंडफिल साइट पर सुनवाई कर रही है। यहां वर्षों से कूड़ा डाला जा रहा है और करीब 33 लाख मीट्रिक टन ठोस कचरा है। पेश याचिका में कहा गया था कि यहां एक अपशिष्ट प्रबंधन परियोजना विकसित की गई है और एक चीनी को वर्ष 2017 में एक अनुबंध सौंपा गया था। जिसने कचरे को जलाया। इससे वायु प्रदूषण हो रहा है। यह प्रदूषण आसपास के लोगों के अलावा असोला भाटी वन्यजीव अभयारण्य में पक्षियों को भी नुकसन पहुंचा रहा है। इस अभयारण्य में पक्षियों की 193 प्रजातियां हैं। यहां बड़ी संख्या में औषधीय पौधों की 80 से अधिक प्रजातियां हैं। यहां तितलियां काला हिरन, गोल्डर सियार और तेंदुआ हैं।
अपने आदेश में एनजीटी ने कहा कि समिति इस मामले में हुए समझौते के तहत लगाए गए ठेकेदार के प्रदर्शन का मूल्यांकन कर सकती है और यदि यह पाया जाता है कि ठेकेदार अपेक्षित प्रदर्शन करने में विफल रहा है, तो समिति ठेकेदार को बदलने के लिए उपयुक्त वैकल्पिक व्यवस्था कर सकती है। एनजीटी ने निर्देश पारित करते हुए यह भी कहा कि आपातकालीन स्थिति के संबंध में राज्य के अधिकारी उपयोगकर्ता शुल्क के भुगतान पर अस्थायी अवधि के लिए लागू कानून के अनुसार निकटतम उपलब्ध भूमि का उपयोग करने के लिए अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग कर सकते हैं।
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