Mulayam Singh Yadav: भारत के PM बनते-बनते रह गए मुलायम, एक नहीं दो बार चूके, इन नेताओं को थी आपत्ति!
नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी के संस्थापक संरक्षक और उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव का सोमवार को निधन हो गया। वह 82 वर्ष के थे। अपने दशकों लंबे राजनीतिक जीवन में समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने 1989-91, फिर 1993-95 से और फिर 2003-2007 के बीच तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। हालांकि, ऐसे कई मौके थे जब वह भारत के प्रधानमंत्री बनने के करीब थे लेकिन किन्हीं कारणों से ऐसा न हो सका।
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इनके कारण नहीं बन सके थे पीएम?
1996 में जब यूनाइटेड फ्रंट की सरकार बनने वाली थी, तब एक वरिष्ठ फ्रंट लीडर द्वारा मुलायम सिंह का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए मंगाया गया था। ऐसा माना जाता है कि सपा नेता 1996 में पीएम की कुर्सी की दौड़ में आगे थे, लेकिन राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और शरद यादव की आपत्तियों के कारण प्रधानमंत्री नहीं बन सके।
1996 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार मिली थी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खाते में 161 सीटें थीं। अटल बिहारी वाजपेयी ने सरकार बनाने का निमंत्रण स्वीकार कर लिया था। वाजपेयी ने प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली, लेकिन उनकी सरकार 13 दिनों में गिर गई।
अब सवाल यह उठा कि नई सरकार कौन बनाएगा। कांग्रेस की झोली में 141 सीटें थीं, लेकिन वह मिश-मैश गठबंधन सरकार बनाने के मूड में नहीं थी।
सबकी निगाहें वीपी सिंह पर जा पहुंचीं
सबकी निगाहें वीपी सिंह पर टिक गईं। उन्होंने 1989 में गठबंधन सरकार बनाई थी। हालांकि इस बार उन्होंने प्रधानमंत्री बनने से इनकार कर दिया और पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु का नाम सामने रखा। लेकिन सीपीएम पोलित ब्यूरो ने वीपी सिंह के प्रस्ताव को ठुकरा दिया।
दूसरी बार पीएम बनने की दिखी उम्मीद
इसके बाद मुलायम सिंह और लालू प्रसाद यादव का नाम सामने आया। चारा घोटाले में नाम आने के बाद लालू पीएम की दौड़ से बाहर हो गए। गठबंधन गढ़ने का काम वामपंथियों के एक दिग्गज हरकिशन सिंह सुरजीत को सौंपा गया था। इसमें वह सफल रहे।
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सुरजीत ने प्रधानमंत्री के लिए मुलायम के नाम की वकालत की लेकिन लालू प्रसाद यादव और शरद यादव ने इसका कड़ा विरोध किया। नतीजतन, नेताजी प्रधानमंत्री बनने से चूक गए।
1999 में फिर से चुनाव हुए। मुलायम सिंह ने संभल और कन्नौज सीटों से दोहरी जीत हासिल की। उनका नाम फिर से पीएम पद के लिए आया। लेकिन 1996 की पुनरावृत्ति में, अन्य यादव नेताओं ने मुलायम का समर्थन करने से इनकार कर दिया। इस तरह मुलायम सिंह दो बार प्रधानमंत्रियों की कुर्सी पर कब्जा करने के करीब आ गए, लेकिन गठबंधन की राजनीति के कारण हार गए।
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