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मीरवाइज उमर फारूक ने छोड़ा हुर्रियत अध्यक्ष का पद, X प्रोफाइल किया अपडेट

Mirwaiz Umar Farooq News: जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारूक ने हुर्रियत अध्यक्ष का पद छोड़ दिया और अपना X प्रोफाइल भी अपडेट कर दिया है. 2019 में अलगाववादी संगठन पर प्रतिबंध लगने के बाद पहली बार ऐसा कदम उठाया गया है, जिससे अलगाववादी समर्थन निराश और आक्रोशित हैं.

मीरवाइज उमर फारूक जम्मू-कश्मीर में प्रमुख अलगाववादी चेहरा हैं.

Mirwaiz Umar Farooq: जम्मू-कश्मीर में आतंकी समर्थकों और अलगाववादियों पर पुलिस की कार्रवाई के बीच कश्मीर घाटी में उदारवादी अलगाववादी चेहरा मीरवाइज उमर फारूक ने बड़ा कदम उठाया है. उन्होंने हुर्रियत अध्यक्ष का पद छोड़ दिया है. सोशल नेटवर्किंग साइट ‘एक्स’ पर अपने प्रोफाइल से 'हुर्रियत अध्यक्ष' पदनाम हटा दिया है. अब मीरवाइज के ‘एक्स’ प्रोफाइल में केवल उनका नाम और उनके निवास स्थान का जिक्र है.

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DGP प्रभात के नेतृत्व में हुई कार्रवाई

मीरवाइज के इस कदम से उनके 2 लाख से ज्यादा फॉलोअर निराश और आक्रोशित हैं. साल 2019 में अलगाववादी संगठन पर प्रतिबंध लगने के बाद पहला ऐसा कदम उठाया गया है. बता दें कि जम्मू-कश्मीर पुलिस महानिदेशक नलिन प्रभात के नेतृत्व में पुलिस ने दशकों पुराने मामलों में फिर से कार्रवाई शुरू कर दी है. ऐसे ही एक मामले में कार्रवाई करते हुए पुलिस ने शकील बख्शी और जावेद मीर जैसे पूर्व आतंकी कमांडरों को गिरफ्तार किया है.

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अलगाववादी नेताओं की संपत्तियां जब्त

कश्मीर घाटी में पूर्व बार एसोसिएशन अध्यक्ष एडवोकेट मियां कयूम और अमेरिका स्थित ISI एजेंट गुलाम नबी फई सहित कई जाने-माने अलगाववादी समर्थकों की संपत्तियों को भी जब्त कर लिया गया है. DGP नलिन प्रभात ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में फैले आतंकवादी संगठनों को पुलिस पूरी तरह से खत्म कर रही है. जम्मू-कश्मीर में हो या विदेश में पुलिस किसी भी कीमत पर आतंकवादियों या अलगाववादी गतिविधियों को पनाह देने वालों नहीं बख्शेगी.

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साल 2025 में हुए 2 आतंकवादी हमले

DGP नलिन प्रभात ने आतंकवाद मुक्त जम्मू-कश्मीर के लिए सुरक्षा एजेंसियों के साथ सहयोग पर प्रकाश डाला और कहा कि साल 2025 में पहलगाम आतंकी हमले और अनंतनाग में पूर्व जवान पर हमले के अलावा शांति रही है. घाटी में सक्रिय स्थानीय आतंकवादियों से सुरक्षित रही है. कश्मीर की स्वतंत्रता या पाकिस्तान में विलय की वकालत करने वाले अलगाववादी समूहों के एक संगठन के रूप में 1993 में हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का गठन हुआ था.

अलगाववादी संगठन गैर-कानूनी घोषित

2019 में अलगाववाद और आतंकी संबंधों को बढ़ावा देने के आरोप में इस संगठन को गैर-कानूनी घोषित कर दिया गया था, जिसके परिणामस्वरूप इसके नेताओं को गिरफ्तार किया गया या उन्हें सहयोग करने के लिए मजबूर होना पड़ा. मीरवाइज साल 2019 के बाद से नजरबंद रहे हैं. उन्होंने कभी-कभी अलगाववादी नेताओं का आह्वान किया है, लेकिन वे नजरबंद रहते हुए अलगाववादियों को ज्यादा प्रोत्साहित नहीं कर पाए.


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