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देश में पहली बार 7 साल के बच्चे का बोन मैरो ट्रांसप्लांट, डॉक्टरों ने बताया आखिर कैसे किया ये कमाल?

Rare Bone Marrow Transplant: 7 साल के बच्चे का बोन मैरो ट्रांसप्लांट करके नई जिंदगी दी गई है। पहली बार बच्चे का बोन मैरो ट्रांसप्लांट हुआ है, जानिए यह कैसे किया गया?

Bone Marrow Transplant
Army Hospital First Successful Bone Marrow Transplant: भारतीय सेना के डॉक्टरों ने एक जबरदस्त कमाल किया है, जिसे मेडिकल की दुनिया में हुआ एक और चमत्कार कहा जा सकता है। डॉक्टरों ने देश में पहली बार 7 साल के बच्चे का पहला बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया है। इसके साथ ही इम्यूनो डेफिशियन्सी डिसऑर्डर से पीड़ित बच्चों के लिए नई जिंदगी जीने की उम्मीद के रास्ते खुल गए हैं। दिल्ली कैंट के आर्मी हॉस्पिटल में हेमेटोलॉजी एंड स्टेम सेल ट्रांसप्लांटेशन विभाग के डॉक्टरों ने यह दुर्लभ सर्जरी की। अस्पताल के कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल अजित नीलकांतन ने बताया कि इतने छोटे बच्चे का बोन मैरो ट्रांसप्लांट करना बहुत बड़ी उपलब्धि है और इस दिशा में आगे प्रयास जारी रहेंगे।   एक साल की उम्र में बीमारी का पता चला मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सेना में बतौर सिपाही तैनात प्रदीप पौडेल के 7 साल के बेटे सुशांत का बोन मैरो ट्रांसप्लांट हुआ। वह अकसर बीमार रहता था तो परिवार में डॉक्टरों को दिखाया। मेडिकल टेस्ट कराए, जिसमें सुशांत के ARPC1B से पीड़ित होने का पता चला। उस समय वह एक साल का था। ARPC1B दुर्लभ इम्यूनो डेफिशियन्सी डिसऑर्डर है, जो इम्यून सिस्टम को बुरी तरह नुकसान पहुंचाता है। इस बीमारी के कारण जानलेवा संक्रमण हो सकता है। मरीज को अन्य कई प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं का सामना करना पड़ता है। सुशांत को 6 महीने पहले आर्मी हॉस्पिटल (R&R) में रेफर किया गया था, लेकिन परिवार के पास मैचिंग सिबलिंग डोनर नहीं था। यह भी पढ़ें: 7 मंजिलें, पर यहां भगवान की नहीं होगी पूजा; जानें 20 साल में बने Swarved Mahamandir की 7 खासियतें

मरीज के परिवार ने डॉक्टरों का आभार जताया

कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल ने बताया कि अस्पताल के हेमेटोलॉजी डिपार्टमेंट की टीम ने उपयुक्त डोनर की तलाश शुरू की, जो 30 नवंबर को पूरी हुई। एक प्रोसेस के तहत स्टेम सेल्स को निकाला गया और उन सेल्स को सुशांत पौडेल के ब्लड में डाला गया। कीमोथेरेपी की हाई डोज देकर सुशांत के खत्म हो चुके स्टेम सेल्स को निकाल दिया गया। सर्जरी के बाद जब सुशांत को होश आया तो उसके और टेस्ट किए गए, जिसमें बोन मैरो ट्रांसप्लांट सक्सेसफुल हुआ तो डॉक्टरों ने राहत की सांस ली। सुशांत और उनके परिवार को खुशखबरी दी गई तो उन्होंने टीम का आभार जताया। अब डॉक्टरों की टीम बच्चों के बोन मैरो ट्रांसप्लांट की दिशा में आगे रिसर्च करके नए अवसर तलाशेगी। यह भी पढ़ें: Bihar की बहादुर बहू: सास पर गोलियां चला रहे गुंडों के पीछे भागी, 2 को घसीटकर घर लाई, पुलिस बुलाई


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