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मालेगांव ब्लास्ट केस में बड़ा अपडेट, NIA उठा सकती है ये कदम

महाराष्ट्र के मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को हुए विस्फोट मामले में पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर समेत सभी 7 आरोपियों को इस साल 31 जुलाई 2025 को मुंबई की विशेष NIA अदालत द्वारा सबूतों के अभाव में बरी किए जाने के मामले में NIA का कहना है कि वह अदालत के फैसले का गहन अध्ययन कर रही है।

मालेगांव ब्लास्ट की फाइल फोटो।

मालेगांव ब्लास्ट केस का फैसला आए 1 महीना बीत चुका है। इस केस को सभी आरोपियों को स्पेशल कोर्ट ने बरी कर दिया है। अब सबकी नजर NIA के अगले कदम पर है। माना जा रहा था कि NIA इस केस को लेकर आगे अपील करेगी, लेकिन अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ है। इस पर NIA के अधिकारियों का कहना है कि एजेंसी फैसले की कॉपी को ध्यान से पढ़ रही है। इसके बाद कानूनी राय लेकर अगला कदम तय किया जाएगा।

NIA फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में करेगी अपील

महाराष्ट्र के मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को हुए विस्फोट मामले में पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर समेत सभी 7 आरोपियों को इस साल 31 जुलाई 2025 को मुंबई की विशेष NIA अदालत द्वारा सबूतों के अभाव में बरी किए जाने के मामले में NIA का कहना है कि वह अदालत के फैसले का गहन अध्ययन कर रही है। साथ ही, इस मामले में कानूनी सलाह भी ली जा रही है। वह इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील करेगी। लेकिन इससे पहले वह यह सुनिश्चित करना चाहती है कि उसकी ओर से सबूतों में कहां कमी या गलती हुई।

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NIA 2011 से कर रही जांच

बता दें कि 2011 में यह मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दिया गया था। इसके बाद NIA ने मामले की जांच शुरू की। जांच के दौरान, सातों आरोपियों पर औपचारिक रूप से आरोप तय होने के बाद वर्ष 2018 में मुकदमा शुरू किया गया। जिसके बाद से लगातार सुनवाई चल रही थी। 31 जुलाई को 2025 को इस केस सभी आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया।

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6 की मौत, 100 से ज्यादा हुए थे घायल

गौरतलब है कि 29 सितंबर 2008 की रात मालेगांव के भिक्कू चौक के पास एक भीषण विस्फोट हुआ था। इस बम विस्फोट में 6 लोगों की मौत हो गई थी। साथ ही 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। जांच में पता चला कि एक व्यस्त चौराहे के पास एक मोटरसाइकिल पर लगा बम फट गया। इसके बाद पूरे इलाके में दहशत फैल गई। बता दें कि मालेगांव विस्फोट मामला सबसे जटिल और राजनीतिक रूप से संवेदनशील आतंकवादी मामलों में से एक रहा है।

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