TrendingInd Vs AusIPL 2025UP Bypoll 2024Maharashtra Assembly Election 2024Jharkhand Assembly Election 2024

---विज्ञापन---

Bharat Ratna Karpoori Thakur: कर्पूरी ठाकुर ने मैट्रिक में अंग्रेजी की अनिवार्यता को क्यों किया खत्म? वजह जानकर आप भी करेंगे गर्व!

Bharat Ratna Karpoori Thakur: कर्पूरी ठाकुर ने बिहार में मैट्रिक की परीक्षा में अंग्रेजी की अनिवार्यता को खत्म कर दिया था। उन्होंने इसके पीछे की वजह भी बताई, जिसे जानकर आप भी गर्व करेंगे।

Bharat Ratna Karpoori Thakur: क्या अंग्रेजी से कर्पूरी ठाकुर को चिढ़ थी?
Bharat Ratna Karpoori Thakur: केंद्र सरकार ने मंगलवार को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का ऐलान किया। यह निर्णय ऐसे समय में आया है, जब एक दिन बाद ही उनकी 100वीं जन्मशताब्दी मनाई जाएगी। कर्पूरी ठाकुर को लोग जननायक कहते थे। उन्होंने हमेशा हाशिए पर रहे लोगों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी।  जननायक ने कई ऐसे निर्णय लिए, जिनके लिए उन्हें आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा, लेकिन जब लोगों को सच का पता चला तो वे गौरवान्वित हो गए। ऐसा ही एक फैसला मैट्रिक की परीक्षा में अंग्रेजी की अनिवार्यता को खत्म करना था। इसकी क्या वजह थी? आइए जानते हैं.... कर्पूरी ठाकुर ने इस वजह से अंग्रेजी की अनिवार्यता को किया खत्म दरअसल, बिहार में  अंग्रेजी की अनिवार्यता की वजह से सवर्ण घरों की लड़कियां मैट्रिक की परीक्षा पास नहीं पाती थीं, जिससे उनकी शादी में रुकावट आने लगीं। जब जननायक कर्पूरी ठाकुर को इस बारे में पता चला तो उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा में अंग्रेजी की अनिवार्यता को खत्म कर दिया। उस समय स्टूडेंट्स को छठवीं या आठवीं क्लास से अंग्रेजी की शिक्षा दी जाती थी। 'अंग्रेजी जानते थे कर्पूरी ठाकुर' कुछ लोगों को मानना है कि  कर्पूरी ठाकुर को अंग्रेजी से चिढ़ थी, जबकि उनके पीए रहे  सुरेंद्र किशोर बताते हैं कि वे अंग्रेजी पढ़ना और लिखना जानते थे। वे अंग्रेजी के विरोधी नहीं थे और न ही अंग्रेजी से उन्हें चिढ़ लगती थी। उन्होंने लड़कियों की वजह से मैट्रिक की परीक्षा में अंग्रेजी की अनिवार्यता को खत्म किया। यह भी पढ़ें: 2.5 अरब साल पुरानी, कोई जोड़ नहीं…Ram Lalla की मूर्ति बनाने को Arun Yogiraj ने कृष्ण शिला ही क्यों चुनी? कर्पूरी ठाकुर की झोपड़ी देख रो पड़े थे हेमवंती नंदन बहुगुणा बता दें कि कर्पूरी ठाकुर की सादगी और ईमानदारी की मिसालें लोग आज भी देते हैं। बिहार के दो बार मुख्यमंत्री और एक बार उप मुख्यमंत्री रहने के बावजूद उनके पास अपना कोई घर और वाहन नहीं था। वे रिक्शे से ही चलते थे। ठाकुर के निधन के बाद हेमवंती नंदन बहुगुणा उनके गांव गए और जब उन्होंने उनकी पुश्तैनी झोपड़ी देखी तो रो पड़े। कर्पूरी ठाकुर 1952 से लगातार विधायक रहे, लेकिन उन्होंने अपने लिए एक घर तक नहीं बनवाया। यह भी पढ़ें: राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा पर क्यों बुरी तरह ट्रोल हुआ पाकिस्तान? लोग बोले- इतिहास पढ़ो मूर्खों के सरताज


Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 and Download our - News24 Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google News.