दक्षिणी राज्यों के साथ ‘वित्तीय अन्याय’ को लेकर केंद्र के खिलाफ विरोध क्यों? BJP ने बताई सच्चाई
Karnataka Kerala protest over tax share BJP blames UPA government: दक्षिण भारत के राज्य फंड आवंटन को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका कहना है कि उनके राज्य द्वारा दिए गए टैक्स का पर्याप्त हिस्सा उन्हें नहीं मिल रहा है। कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और तेलंगाना का आरोप है कि उन्हें केंद्र की मोदी सरकार से अपने हिस्से का पैसा नहीं दिया जा रहा है। वहीं अब इसे लेकर बीजेपी ने पलटवार किया है और यूपीए की पिछली सरकार को दोषी ठहराया है। बीजेपी का कहना है कि इसके लिए मोदी सरकार नहीं बल्कि यूपीए सरकार जिम्मेदार है।
बीजेपी ने क्या कहा इसपर
इसे लेकर बीजेपी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जवाब दिया है। अमित मालवी ने कहा कि 2 सितंबर 2013 को रघुराम राजन की अध्यक्षता में राज्यों के समग्र विकास सूचकांक को विकसित करने के लिए समिति की रिपोर्ट में सुझाव दिया गया कि कर्नाटक का हिस्सा 4.13% से घटाकर 3.73% किया जाना चाहिए, जो कि वित्त आयोग ने किया था।
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मालवीन ने आगे कहा कि यह सब कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए के तहत हुआ। कर्नाटक की कांग्रेस सरकार अब अनिवार्य रूप से अपनी ही सरकार के फैसले का विरोध कर रही है। यह और कुछ नहीं बल्कि भयावह, विभाजनकारी राजनीति है।
अमित मालवीन ने आगे कहा कि मुझे बताया गया है कि राहुल गांधी रघुराम राजन को राज्यसभा के लिए नामांकित करना चाहते हैं। ऐसा करने से पहले क्या कांग्रेस यह बताएगी कि वे किसी ऐसे व्यक्ति का सम्मान क्यों करना चाहेंगे जिसने कर्नाटक के हित को कमजोर किया है?
केरल सीएम भी प्रदर्शन कर रहे
बता दें कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के नेतृत्व में कर्नाटक के नेता इसे लेकर दिल्ली में विरोध प्रदर्शन किए थे। जंतर मंतर पर इकट्टे हुए कर्नाटक कांग्रेस के नेता 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों को लागू करने को गलत बता रहे थे। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन भी इसे लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। बीजेपी का कहना है कि कर्नाटक का पैसा कम करने का फैसला यूपीए सरकार के दौरान लिया गया।
क्या कहा था सीएम सिद्धारमैया ने
विरोध प्रदर्शन के दौरान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कर भुगतान और रिटर्न को लेकर कहा गया कि कर्नाटक करों में 4 लाख 30 हजार करोड़ रुपये का योगदान देता है, लेकिन बदले में केंद्र की मोदी सरकार से उसे केवल 50 हजार करोड़ ही मिलते हैं। उनका कहना है कि कर्नाटक 100 रुपये देता है तो उसे बदले में केवल 13 रुपये ही वापस मिलते हैं। उनका कहना है कि 15वें वित्त आयोग की वजह से कर्नाटक को 62,098 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
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