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एक उम्मीदवार, जिसे हारना पसंद… अटल-आडवाणी के खिलाफ भी लड़ चुका चुनाव; अब 239वीं बार फिर चुनावी मैदान में

K Padmarajan: अगर आपसे पूछा जाए कि सबसे ज्यादा बार चुनाव हारने का रिकॉर्ड किसके नाम पर है तो आपमें से शायद ही कोई इसका जवाब दे पाएं। यह रिकॉर्ड अपने देश के ही एक शख्स के नाम पर है, जो अब तक 238 बार चुनाव हार चुका है।

K Padmarajan 238 बार हार चुके हैं चुनाव, अटल बिहारी वाजपेयी के खिलाफ भी लड़ा चुनाव
K Padmarajan Lok Sabha Election 2024 : आमतौर पर हर शख्स चुनाव जीतने के लिए लड़ता है, लेकिन एक शख्स ऐसा है, जो चुनाव हारने के लिए लड़ता है। उसे हार का कोई गम नहीं रहता, बल्कि वह खुश रहता है। अब तक वह 238 चुनाव हार चुका है। इस शख्स ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता तक के खिलाफ चुनाव लड़ा है। इस शख्स का नाम है- के. पद्मराजन।

कौन हैं के. पद्मराजन?

के. पद्मराजन तमिलनाडु के रहने वाले हैं। वे 239वीं बार चुनाव लड़ने जा रहे हैं। वे धर्मपुरी लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं। पद्मराजन का कहना है कि अब तक मैंने 239 नामांकन दाखिल किए हैं। मुझे हारना पसंद है। पद्मराजन ने अपने चुनाव लड़ने को लेकर भी बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि वे चुनाव वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने के लिए लड़ रहे हैं। उन्हें एक चुनाव में सबसे अधिक 6000 वोट मिले थे।

चुनाव जीतना नहीं, हारना चाहते हैं पद्मराजन

पद्मराजन ने बताया कि वे अब तक पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, डीएमके प्रमुख करुणानिधि, एआईएडीएमके प्रमुख जयललिता और बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं। उनका कहना है कि वे चुनाव जीतना नहीं, सिर्फ हारना चाहते हैं। उन्हें वर्ल्ड्स बिगेस्ट इलेक्शन लूजर भी कहा जाता है। [caption id="attachment_647348" align="alignnone" ] के. पद्मराजन (फाइल फोटो)[/caption]

'चुनाव लड़ने में अब तक खर्च हो चुके हैं एक करोड़ रुपये'

पद्मराजन ने कहा कि सफलता का अनुभव केवल एक बार ही किया जा सकता है, लेकिन असफलता लगातार बनी रह सकती है। उन्होंने बताया कि 1988 से लेकर अब तक वे चुनाव लड़ने के लिए एक करोड़ रुपये खर्च कर चुके हैं। इसमें जमानत राशि भी शामिल है। यह भी पढ़ें: कौन है वह पुलिस अधिकारी, जिसने सबसे पहले मुख्तार अंसारी पर की कार्रवाई; बाद में नौकरी से धोना पड़ा हाथ, अब कर रहा खेती

'आगे भी चुनाव लड़ना जारी रखेंगे'

पद्मराजन ने बताया कि वे अपने घर के पास ही एक छोटी सी पंचर की दुकान चलाते हैं। इसी से उनकी कमाई होती है। वे नामांकन भी इन्ही पैसों से करेंगे। उन्होंने बताया कि वे वार्ड, निगम और राष्ट्रपति चुनाव समेत कई चुनाव लड़ चुके हैं। वे आगे भी चुनाव लड़ना जारी रखेंगे।

लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ नाम

पद्मराजन का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है। वे देश के सबसे असफल प्रत्याशी हैं। उन्हें 2011 के विधानसभा चुनाव में मेट्टूर में 6273 वोट मिले थे। इस पर पद्मराजन का कहना था कि उन्हें इस चुनाव में एक भी वोट की उम्मीद नहीं थी। यह भी पढ़ें: कहानी उस बीजेपी नेता की हत्या की, जिसके बाद मुख्तार अंसारी के पतन की हुई शुरुआत


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