दिल्ली दंगों के फैसले के बाद हटाए गए जज ने तोड़ी चुप्पी, कहा- ‘पता नहीं सरकार मेरे किस फैसले से परेशान थी’
जस्टिस मुरलीधर ने अपने ट्रांसफर पर चुप्पी तोड़ी है।
उड़ीसा उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस मुरलीधर (Justice S Muralidhar) ने दिल्ली दंगों पर दिए गए अपने फैसले के बाद ट्रांसफर पर चिप्पी तोड़ी है। उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं पता कि दिल्ली दंगों (Delhi riots) के मामले में उनके फैसले में ऐसा किया था, जिसने सरकार को परेशान किया और सरकार को उनका ट्रांसफर करना पड़ा। उन्होंने कहा कि उनकी जगह अगर कोई और जज होता तो उसे भी "यही काम करना चाहिए था, क्योंकि वह सही कदम था।
जस्टिस मुरलीधर का नाम दिल्ली दंगों के बाद तब सामने आया था, जब उन्होंने बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर कपिल मिश्रा, प्रवेश वर्मा, आदि के खिलाफ दिल्ली पुलिस को एफआईआर करने का आदेश दिया था। इसके अलावा जस्टिस मुरलाधर ने आधी रात में अपने घर पर सुनवाई कर दिल्ली दंगों के मामले में पीड़ितों को सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट करने और उनके जान माल की रक्षा करने के लिए दिल्ली पुलिस को आदेश दिया था। वहीं दंगों में घायलों को सुरक्षा के साथ इलाज के लिए अस्पताल भर्ती कराने का आदेश दिया था।
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जस्टिस मुरलीधर ने एक अन्य आदेश में सरकार को विस्थापित दंगा पीड़ितों के लिए अस्थायी आश्रय, उपचार और परामर्श प्रदान करने का निर्देश दिया था। इसके कुछ समय बाद जस्टिस मुरलीधर का तबादला पंजाब एंव हरियाणा हाईकोर्ट में कर दिया गया था।अपने ट्रांसफर पर अब जस्टिस ने कहा है कि आज भी मुधे यह नहीं पता कि सरकार मेरे किस फैसले से परेशान थी, जिसके कारण उनको मेरा ट्रांसफर करना पड़ा। इसके बात से मैं आज तक अनभिज्ञ हूं, लेकिन मुझे इस बात का अहसास है कि वो लोग डरे हुए थे।
न्यायमूर्ति मुरलीधर 17 साल के करियर का समापन करते हुए अगस्त में ओडिशा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त हुए। इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण फैसले दिए। न्यायमूर्ति मुरलीधर को लेकर कुछ लोगों को कहना है कि उनके प्रतिकूल निर्णयों के कारण केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में उनकी पदोन्नति रोक दिया था। शायद जस्टिस मुरलीधर को भी यही लगता है, जिसके बारे में उन्होंने सीधे नहीं तो किसी ओर ढंग से अपनी बात कही है।
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