ISRO SPADEX Mission Docking Successful: 2024 के अंत में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने SPADEX मिशन लॉन्च किया था। इस मिशन की कामयाबी का सभी को बेहद बेसब्री से इंतजार था। SPADEX मिशन में इसरो को बड़ी सफलता मिली है। इस मिशन के तहत डॉकिंग की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इसरो ने सोशल मीडिया पर यह खुशखबरी साझा की है।
ISRO ने शेयर किया ट्वीट
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट शेयर करते हुए इसरो ने लिखा कि भारत ने अंतरिक्ष के इतिहास में अपना नाम हमेशा के लिए दर्ज कर लिया है। शुभ प्रभात भारत, इसरो ने SPADEX मिशन के तहत डॉकिंग में सफलता हासिल कर ली है। इस पल का गवाह बनकर गर्व की अनुभूति हो रही है।
SpaDeX Docking Update:
🌟Docking Success
---विज्ञापन---Spacecraft docking successfully completed! A historic moment.
Let’s walk through the SpaDeX docking process:
Manoeuvre from 15m to 3m hold point completed. Docking initiated with precision, leading to successful spacecraft capture.…
— ISRO (@isro) January 16, 2025
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दुनिया का चौथा देश बना भारत
SPADEX मिशन में डॉकिंग पूरी करने के बाद भारत ने बड़ी उपलब्धि अपने नाम कर ली है। भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है। इससे पहले यह तकनीक अमेरिका, रूस और चीन के पास थी। मगर अब इस लिस्ट में भारत का नाम भी शामिल हो चुका है। हालांकि SPADEX मिशन अभी पूरा नहीं हुआ है। डॉकिंग के बाद अनडॉकिंग होगी, जिसके बाद यह मिशन सफल माना जाएगा।
कब लॉन्च हुआ था मिशन?
दरअसल इसरो ने 30 दिसंबर 2024 की रात को SPADEX मिशन लॉन्च किया था। इस मिशन के तहत 2 सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में भेजा गया। इन दोनों सैटेलाइट्स की डॉकिंग (जोड़ना) और अनडॉकिंग (अलग करना) SPADEX मिशन का मकसद था। 12 जनवरी 2025 को इसरो अपने लक्ष्य के बेहद करीब था, दोनों सैटेलाइट्स महज 3 मीटर की दूरी पर थीं, हालांकि डॉकिंग की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी।
Dr. V. Narayanan, Secretary DOS, Chairman Space Commission and Chairman ISRO, congratulated the team ISRO.#SPADEX #ISRO pic.twitter.com/WlPL8GRzNu
— ISRO (@isro) January 16, 2025
क्यों खास है SPADEX मिशन?
SPADEX मिशन भारत के लिए काफी मायने रखता है। यह मिशन पूरा होने के बाद इसरो के खाते में एक नई तकनीक जुड़ जाएगी। इसकी मदद से भारत अतंरिक्ष में खुद का स्पेस स्टेशन बना सकता है। यही नहीं अतंरिक्ष का मलबा साफ करने से लेकर चंद्रयान 4 मिशन में भी यह तकनीक बेहद काम आएगी।
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