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देश में नमक-चीनी के हर ब्रांड में हैं माइक्रोप्लास्टिक्स! नई रिपोर्ट में चौंकाने वाला दावा

Toxins Link New Study Report: एक नई स्टडी रिपोर्ट मंगलवार को सामने आई है। जिसमें चौंकाने वाले दावे भारतीय नमक और चीनी ब्रांड्स को लेकर किए गए हैं। शोध में 10 प्रकार के नमक और 5 प्रकार की चीनी का परीक्षण करने का दावा किया गया है। आइए पूरी बात जानते हैं।

Edited By : Parmod chaudhary | Updated: Aug 13, 2024 15:51
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New Study Report: भारतीय नमक और चीनी के ब्रांड्स में माइक्रोप्लास्टिक होने का दावा किया गया है। पर्यावरण अनुसंधान संगठन टॉक्सिक्स लिंक की ओर से इस बाबत शोध रिपोर्ट पेश की गई है। इस रिपोर्ट में 10 प्रकार के नमक और 5 प्रकार की चीनी का परीक्षण करने का दावा किया गया है। शोध के अनुसार सभी भारतीय नमक और चीनी ब्रांड्स के पैक्ड, अनपैक्ड ब्रांड्स में माइक्रोप्लास्टिक है। सेंधा नमक, समुद्री नमक, टेबल नमक और कच्चे नमक के नमूनों पर शोध किया गया। वहीं, बाजारों से खरीदी गई चीनी को भी स्टडी में शामिल किया गया था। शोध में सभी नमूनों में माइक्रोप्लास्टिक की मौजूदगी फाइबर, छर्रों, टुकड़ों के तौर पर मिली।

माइक्रोप्लास्टिक का आकार 0.1 से लेकर 5 MM तक दर्ज किया गया। आयोडीन युक्त नमक में भी माइक्रोप्लास्टिक का लेवल अधिक मिला। इसमें माइक्रोप्लास्टिक पतले फाइबर के तौर पर मौजूद पाया गया। टॉक्सिक्स लिंक के संस्थापक और निदेशक रवि अग्रवाल के अनुसार शोध का उद्देश्य माइक्रोप्लास्टिक के डेटाबेस को जुटाना था। ताकि अंतरराष्ट्रीय प्लास्टिक संधि के तहत इस मुद्दे पर सभी संस्थाओं का ध्यान केंद्रित किया जा सके।

उनका उद्देश्य माइक्रोप्लास्टिक के जोखिमों को कम करना है। ताकि शोधकर्ता इस रिपोर्ट के आधार पर वे प्रयास कर सकें, जिससे जोखिम कम हो सकें। टॉक्सिक्स लिंक के एसोसिएट डायरेक्टर सतीश सिन्हा के अनुसार नमक और चीनी में इतनी मात्रा में प्लास्टिक का मिलना स्वास्थ्य के लिए चिंताजनक हो सकता है। इसके दूरगामी नतीजों से निपटने के लिए और स्टडी की जानी जरूरी हैं। माइक्रोप्लास्टिक की मौजूदगी सूखे नमक में प्रति किलोग्राम 6.71 से 89.15 टुकड़ों तक मिली है। आयोडीन युक्त में नमक में सबसे अधिक और सेंधा नमक में सबसे कम सांद्रता (Concentrations) मिली है।

पहले भी सामने आ चुके हैं ऐसे शोध

चीनी में प्रति किलोग्राम के हिसाब से 11.85 से 68.25 टुकड़े मिले हैं। सबसे अधिक सांद्रता गैर कार्बनिक चीनी में मिली है। माइक्रोप्लास्टिक दुनिया में पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों के लिए घातक है। प्लास्टिक के छोटे कण मानव के शरीर में पानी, हवा भोजन के जरिए घुस सकते हैं। फेफड़े और ह्रदय के लिए ये कण घातक हैं। जो नवजात बच्चों को भी बीमार कर सकते हैं। पहले भी एक शोध सामने आया था। जिसमें बताया गया था कि रोजाना औसत एक भारतीय 10 चीनी चम्मच खाता है। वहीं, लगभग 10.98 ग्राम नमक का यूज करता है। जो चिंताजनक है।

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Written By

Parmod chaudhary

First published on: Aug 13, 2024 03:32 PM

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