केंद्रीय रेल राज्य मंत्री वी सोमन्ना ने रेलवे भर्ती बोर्ड को निर्देश दिया है कि परीक्षाओं के दौरान धार्मिक प्रतीकों जैसे मंगलसूत्र, जनेऊ और कान की बालियों को उतारने की अनिवार्यता खत्म की जाए। यह फैसला उम्मीदवारों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखकर लिया गया है। भाजपा सांसद बृजेश चौटा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इस संबंध में जानकारी साझा की। उन्होंने रेलवे भर्ती बोर्ड के पैरामेडिकल परीक्षा के एडमिट कार्ड की तस्वीर भी पोस्ट की, जिसमें साफ तौर पर लिखा था कि उम्मीदवार धार्मिक आभूषण जैसे मंगलसूत्र और जनेऊ पहनकर परीक्षा केंद्र में प्रवेश नहीं कर सकते। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए चौटा ने बताया कि केंद्रीय मंत्री सोमन्ना ने अधिकारियों से स्पष्ट रूप से कहा है कि छात्रों को उनकी धार्मिक पहचान से जुड़ी किसी भी वस्तु को हटाने के लिए मजबूर न किया जाए।
Taking it ahead from the oral instructions earlier today, our Railways MoS Shri @VSOMANNA_BJP, to whose attention we had brought this issue, has ensured the Railway Recruitment Board issues a fresh order pertaining to restrictions imposed on carrying certain items into the… pic.twitter.com/MvZ4TTRMzS
---विज्ञापन---— Captain Brijesh Chowta ಕ್ಯಾಪ್ಟನ್ ಬ್ರಿಜೇಶ್ ಚೌಟ (@CaptBrijesh) April 28, 2025
कर्नाटक सरकार ने भी जताई थी आपत्ति
इस नियम पर कर्नाटक सरकार ने भी आपत्ति जताई है। राज्य के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने बयान देते हुए कहा कि मंगलसूत्र और जनेऊ धार्मिक प्रतीक होते हैं। अगर जरूरत हो तो इनकी जांच की जा सकती है, लेकिन इन्हें उतारने के लिए कहना ठीक नहीं है।
कब आया था मामला?
कर्नाटक के बीदर जिले के साई स्पूर्थी पीयू कॉलेज में 17 अप्रैल को एक छात्र को परीक्षा में बैठने से सिर्फ इसलिए रोक दिया गया क्योंकि उसने जनेऊ उतारने से इनकार कर दिया था। यह मामला 19 अप्रैल को सामने आया, जिसके बाद इसे लेकर राज्यभर में विवाद खड़ा हो गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. चंद्रशेखर बिरादर और स्टाफ मेंबर सतीश पवार को निलंबित कर दिया गया।
इसी तरह का एक और मामला शिवमोगा जिले के एक स्कूल में सामने आया था, जहां CET का पेपर देने आए 3 छात्रों को जनेऊ उतारने के लिए कहा गया। इस घटना के बाद कर्नाटक ब्राह्मण महासभा ने इससे जुड़े अधिकारियों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी।
परीक्षा केंद्र के कर्मचारियों ने जवाब देते हुए बताया कि उन्होंने किसी भी छात्र को अपनी जनेऊ उतारने के लिए मजबूर नहीं किया। उनके अनुसार परीक्षा से जुड़े नियमों के तहत उन्होंने केवल छात्रों से हाथ की कलाई पर बांधा जाने वाला पवित्र धागा होता है, वह उतारने के लिए कहा था।
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