International Space Station: भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला अपने सहयोगियों के साथ वापस धरती पर आने के लिए ISS से निकल चुके हैं। अभी तक कई सारी प्रक्रियाएं तय समयानुसार और मानकों के आधार पर हो रही हैं। 15 जुलाई की दोपहर 3 बजे शुभांशु का ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट कैलिफोर्निया के समुद्र में स्प्लैशडाउन करेगा। आइए समझते हैं कि अंतरिक्ष से धरती पर अंतरिक्ष यात्रियों की वापसी कैसे होती है?
अंतरिक्ष से धरती पर वापस लौटने की प्रक्रिया बेहद चुनौतीपूर्ण और खतरनाक होती है। अंतरिक्ष यात्री, अंतरिक्ष से घर लौटने के लिए सावधानीपूर्वक नियोजित प्रक्रिया अपनाते हैं। इसके लिए सटीक माप, आंकड़े और शून्य गलती की ज़रूरत होती है क्योंकि अगर एक गलती हुई तो अंतरिक्ष यात्रियों की जान पर बन आएगी।
अंतरिक्ष स्टेशन छोड़ने के लिए यान
यात्री अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) से पृथ्वी लौटने के लिए एक स्पेशल यान का इस्तेमाल करते हैं, जिसे ए.एस.एस. कहा जाता है। आम भाषा में इसे अंतरिक्ष कैप्सूल भी कहा जाता है। अंतरिक्ष कैप्सूल ISS से अलग हो जाता है और पृथ्वी पर मौजूद गुरुत्वाकर्षण की मदद से यह अपनी यात्रा शुरू करता है।
ISS से अलग होने के बाद जैसे ही कैप्सूल पृथ्वी के वायुमंडल के करीब पहुंचता है, यह पृथ्वी की ओर आने लगता है। धीरे-धीरे इसकी गति बढ़ जाती है। जैसे ही कैप्सूल पृथ्वी के वायुमंडल के संपर्क में आता है तो कैप्सूल और हवा से टकराव के कारण वह बेहद गर्म हो जाता है। इससे बचने के लिए कैप्सूल में एक हीट शील्ड होती है जो यात्रियों को इस भीषण गर्मी से बचाती है।
इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के अनुसार, अनडॉक करते समय ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट की स्पीड 28000 किलोमीटर प्रति घंटा होगी और धरती की तरफ आते-आते यह स्पीड 24 किलोमीटर प्रति घंटा रह जाएगी। अंतरिक्ष यान 120 किलोमीटर की ऊंचाई पर 27,000 किलोमीटर/घंटा की गति से वायुमंडल में प्रवेश करेगा। हीट शील्ड इस कैप्सूल को 1,900 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान से बचाएगी।
साल 2003 में, जब अंतरिक्ष की यात्रा पूरी करने के बाद एक फरवरी को NASA का अंतरिक्ष यान 7 चालक दल के सदस्यों के साथ पृथ्वी पर लौट रहा था, तब यह दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते ही शटल दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। बताया जाता है कि जब अंतरिक्ष यान पृथ्वी पर नीचे की ओर आ रहा था, तब ऐसा लग रहा था जैसे कोई आग का गोला हो। जांच में पता चला था कि जब यान के बाहरी हिस्से से एक फोम का बड़ा टुकड़ा नष्ट हो गया था, तब वहां से बाहरी गैस अंदर घुस गई थी और फिर यान के सारे सेंसर खराब हो गए थे और यान नष्ट हो गया था। सभी यात्रियों की मौत हो गई थी।
कहां लैंड होता है यान?
वैसे तो अंतरिक्ष यान ज़मीन और पानी दोनों जगह उतर सकते हैं, लेकिन पानी में लैंड कराना अधिक सुरक्षित माना जाता है। जब यान धरती की तरफ आ रहा होता है, तो उसकी स्पीड बहुत अधिक होती है। इसे कम करने के लिए पैराशूट लगाए जाते हैं। स्पीड के कारण जब यान पानी में गिरता है, तो अंदर बैठे यात्रियों को कम झटके महसूस होते हैं। ज़मीन पर लैंड कराने में यान को नुकसान हो सकता है, लेकिन कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि ज़मीन अधिक सुरक्षित है क्योंकि अगर यान को कुछ नुकसान हुआ तो यात्री बाहर नहीं निकल पाएंगे, लेकिन अगर वे ज़मीन पर गिरेंगे तो कम से कम वे बाहर निकल सकते हैं।
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समुद्र में यान को उतारे जाने की प्रक्रिया को 'स्प्लैशडाउन' कहा जाता है। जिस यान से शुभांशु शुक्ला अपने तीन अन्य सहयोगियों के साथ धरती पर लौट रहे हैं, उसे भी कैलिफ़ोर्निया के तट पर उतारा जाएगा। करीब 23 घंटे की यात्रा के बाद 15 जुलाई को दोपहर 3 बजे यह यान उतरेगा।