सावधान: देश के 16.8 करोड़ लोगों का बिक गया पर्सनल डेटा, आर्मी की ‘गोपनीय’ जानकारी भी लीक, आप कितने हैं चौकन्ने?
इस गिरोह ने सेना को भी नहीं बख्शा।
Hyderabad: नई टेक्नोलॉजी से जहां चीजें आसान हुई हैं, वहीं साइबर ठगी के मामले में भी बढ़ते जा रहे हैं। ऐसा ही एक हैरान करने वाला मामला हैदराबाद से सामने आया है। यहां की साइबराबाद पुलिस ने साइबर क्राइम करने वाले सबसे बड़े गिरोह का खुलासा किया है। छह आरोपी पकड़े गए हैं। इस गिरोह ने देश के 16.8 करोड़ लोगों का पर्सनल डेटा चुराकर बेच दिया है।
इस गिरोह ने सेना को भी नहीं बख्शा। दिल्ली सेना से जुड़े ढाई लाख लोगों और 35 हजार सरकारी कर्मचारियों का डेटा चोरी किया है। ये राष्ट्र के काफी संवेदनशील और खतरा है।
140 से ज्यादा कैटेगरी के डेटा को चुराया और बेचा
साइबराबाद के सीपी स्टीफन रवींद्र ने बताया कि इस गिरोह ने 140 से ज्यादा कैटेगरी के डेटा बेचा है। जिसमें सरकारी और महत्वपूर्ण संगठनों के संवेदनशील और गोपनीय डेटा शामिल हैं। साथ ही छात्रों, महिलाओं, सरकारी कर्मचारियों, लोनधारकों, बीमाधारकों, क्रेडिट और डेबिट कार्ड, पैन कार्ड, बिजली बिल, फेसबुक, वॉट्सऐप के जरिए डेटा चुराकर उन्हें बेचता था।
1.20 करोड़ वॉट्सऐप डेटा और 17 फेसबुक यूजर्स की जानकारी मिली
इनके पास 1.20 करोड़ लोगों का वॉट्सऐप डेटा मिला है। जबकि 17 लाख फेसबुक यूजर्स की उम्र, ईमेल आईडी, फोन नंबर सहित जानकारी भी मिली है। बताए जा रहे हैं कि आरोपी डेटा मार्ट इन्फोटेक, ग्लोबल डेटा आर्ट्स और एमएस डिजिटल से जुड़े हुए थे।
टेलीकॉम कंपनियों से लीक हुए डेटा!
पुलिस को संदेह है कि 3 करोड़ लोगों के मोबाइल नंबर डेटाबेस टेलीकॉम कंपनियों से लीक हुए थे। जिनका इस्तेमाल विभिन्न अपराधों को अंजाम देने के लिए किया जा सकता था। इसके अलावा संदिग्धों के कब्जे से कई नामी बैंकों के क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड डेटा भी पाए गए।
जासूसी के लिए इस्तेमाल हो सकता है सेना का डेटा
स्टीफन रवींद्र ने कहा कि रक्षा और सरकारी कर्मचारियों से संबंधित डेटा का इस्तेमाल जासूसी और गंभीर अपराधों के लिए किया जा सकता है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाल सकती है। उन्होंने कहा कि पैन कार्ड से संबंधित डेटा का उपयोग बड़ी संख्या में साइबर अपराध करने के लिए किया जा रहा है। लोगों को इसके प्रति चौकन्ना रहना होगा।
गिरोह में शामिल हर एक का तय था काम
- गिरफ्तार किए गए संदिग्धों में एक का नाम कुमार नीतीश भूषण है। उसने यूपी के नोएडा में एक कॉल सेंटर स्थापित किया और क्रेडिट कार्ड डेटाबेस जुटाया।
- वहीं पूजा पाल एक टेली-कॉलर, सुशील थॉमर डेटा एंट्री ऑपरेटर है। अतुल प्रताप सिंह ने क्रेडिट कार्ड धारकों का डेटा एकत्र किया और बेचा।
- मुस्कान हसन बिचौलिया का काम करती थी। संदीप पाल ने ग्लोबल डेटा आर्ट्स की स्थापना की और साइबर अपराधों में लिप्त ठगों को ग्राहकों का गोपनीय डेटा बेचा।
- जिया उर रहमान प्रचार के लिए बल्क मैसेजिंग सेवाएं उपलब्ध कराता था। उसने डेटा बेस भी साझा किया।
साइबर ठगी से कैसे बचें?
साइबर अटैक से बचने के लिए सबसे कारगर उपाय आपकी सतर्कता ही है। आप अपने मोबाइल पर आए किसी भी संदिग्ध लिंक या मैसेज, ईमेल, फोन कॉल्स और वीडियो कॉल्स का कोई रिस्पांस न दें।
इसके अलावा अगर आप साइबर फ्रॉड से बचना चाहते हैं तो अपने सभी ऑनलाइन अकाउंट्स (बैंक और सोशल मीडिया) का मजबूत और यूनिक पासवर्ड बनाएं और इसे किसी से शेयर न करें। साथ ही कुछ महीनों के अंतराल पर इन पासवर्ड्स को अपडेट भी करते रहें।
संदेह वाले किसी भी तरह के ईमेल और लिंक्स से बिलकुल सावधान रहें। न समझ आने वाले और अनजान सोर्स के लिंक या अटैचमेंट को कभी भी डाउनलोड न करें।
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