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नवीन जिंदल के 10 साल के संघर्ष की कहानी, जिनकी बदौलत आज हर देशवासी घर पर फहरा रहा तिरंगा

Naveen Jindal's Tiranga Triumph: आज अगर हम शान से तिरंगा लहरा पा रहे हैं तो इसकी बड़ी वजह नवीन जिंदल हैं। उन्होंने इसके लिए लंबी लड़ाई लड़ी।

Edited By : Achyut Kumar | Updated: Jan 24, 2024 15:31
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मशहूर उद्योगपति नवीन जिंदल ने तिरंगे के लिए लड़ी लंबी लड़ाई

Naveen Jindal’s Tiranga Triumph: आज हर देशवासी तिरंगे को पूरे गर्व से फहराता है। यह न केवल इसके 77 साल के इतिहास का प्रमाण है, बल्कि एक दशक लंबी कानूनी लड़ाई का भी प्रमाण है, जिसने हर भारतीय के दिल में अपनी जगह बनाई। आज हम आपको मशहूर उद्योगपति नवीन जिंदल के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने नौकरशाही व्यवस्था को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और ऐतिहासिक जीत दर्ज की।

नवीन जिंदल ने 10 साल तक लड़ी कानूनी लड़ाई

नवीन जिंदल 1992 में अमेरिका से एमबीए पूरा करने के बाद भारत वापस लौटे। यहां उन्होंने देखा कि भारतीय ध्वज संहिता की वजह से तिरंगे के प्रदर्शन को केवल विशेष अवसरों तक सीमित कर दिया गया है, जिससे वे काफी दुखी हुए। उन्होंने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और करीब 10 साल तक कानूनी लड़ाई लड़ी।

‘झंडा सिर्फ कपड़ा नहीं है, यह पहचान का प्रतीक भी है’

नवीन जिंदल ने तर्क देते हुए कहा कि झंडा सिर्फ कपड़ा नहीं है, बल्कि यह पहचान का प्रतीक भी है। हालांकि, सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा और मर्यादा का हवाला देते हुए  इसके नियंत्रण पर जोर दिया। इस पूरे मामले को देश सांसें थामकर देख रह था।

23 जनवरी 2004 को सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला

आखिरकार 23 जनवरी 2004 को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया। इसकी गूंज पूरे देश में सुनाई दी। इस फैसले के जरिए शीर्ष अदालत ने पूरे वर्ष सभी नागरिकों द्वारा तिरंगे को प्रदर्शित करने के अधिकार को बरकरार को रखा गया, जो संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत एक मौलिक अधिकार के रूप में निहित है।

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जिंदल ने की FOI की स्थापना

हालांकि, जिंदल कानूनी जीत से संतुष्ट नहीं थे। उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए फ्लैग फाउंडेशन ऑफ इंडिया (FOI) की स्थापना की ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उत्सव में तिरंगे का असली अर्थ खो न जाए। FOI ने 130 से अधिक स्मारकों में तिरंगे लगाए हैं। उन्होंने अन्य लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित किया है।

नवीन जिंदल के अटूट विश्वास की कहानी है तिरंगा

FOI का वर्तमान अभियान ‘हर दिन तिरंगा’ प्रत्येक देशवासियों से भारत की प्रगति में योगदान देने का आह्वान करता है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के दो दशक बाद भी तिरंगे की कहानी अभी खत्म नहीं हुई है। यह एक राष्ट्र के उत्थान, एक लोकतंत्र के परिपक्व होने और एक प्रतीक के तहत एकजुट हुए लोगों की कहानी है। यह नवीन जिंदल के अटूट विश्वास की कहानी है। तिरंगा हमें याद दिलाता है कि सबसे बड़ी जीत सिर्फ अदालतों में नहीं, बल्कि लोगों के दिलों और दिमागों में जीती जाती है।

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HISTORY

Written By

Achyut Kumar

First published on: Jan 24, 2024 03:31 PM

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