पहलगाम आतंकी हमले के बाद देशभर में अलर्ट है और आतंकी गतिविधियों में शामिल लोगों की तलाश की जा रही है। सर्च ऑपरेशन के दौरान आतंकवाद निरोधी दस्ते (ATS) को बड़ी सफलता मिली। ATS ने हिज्ब-उत-तहरीर के झारखंड मॉड्यूल के आतंकी को दबोचा है, जिसकी पहचान 33 वर्षीय अम्मार याशर के रूप में हुई है। जांच के दौरान पता चला कि वह इंडियन मुजाहिदीन (IM) का आतंकवादी रह चुका है।
उसे साल 2014 में राजस्थान की जोधपुर पुलिस ने गिरफ्तार किया था। वह जिंदगी के 10 साल जेल में बिता चुका है। जेल से बाहर आने के बाद उसने हिज्ब-उल-तहरीर के गुर्गों से फिर से संपर्क बनाए और आतंकी गतिविधियों में शामिल हो गया था। अम्मार को गुरुवार को झारखंड के धनबाद के शमशेर नगर इलाके से गिरफ्तार किया गया। उसे अदालत में पेश करके जेल भेज दिया गया है।
आतंकी संगठन के गुर्गे ने दिया था सुराग
अम्मार के फिर से आतंकी गतिविधियों में शामिल होने का खुलासा ATS द्वारा हाल ही में गिरफ्तार किए गए हिज्ब-उत-तहरीर के सदस्य अयान जावेद से पूछताछ के दौरान हुआ। जावेद ने पूछताछ के दौरान ATS को अम्मार के बारे में अहम जानकारी दी।जावेद से संदिग्ध दस्तावेज बरामद हुए, जो उसे और अम्मार को प्रतिबंधित आतंकी समूह का सदस्य बताते हैं।
26 अप्रैल को ATS ने धनबाद में आतंकी नेटवर्क पर कार्रवाई शुरू की और प्रतिबंधित संगठन हिज्ब-उल-तहरीर, भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा (QIS) के 4 गुर्गों को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान गुलफाम हसन (21), अयान जावेद (21), मोहम्मद शहजाद आलम (20) और शबनम परवीन (20) के रूप में हुई। इनकी निशानदेही पर ATS ने अम्मार याशर को दबोच लिया।
अम्मार के खिलाफ दर्ज हैं 3 केस
झारखंड ATS ने बताया कि 7 दिन के अंदर धनबाद से 5 संदिग्ध गिरफ्तार हो चुके हैं। गिरफ्तार 5वां संदिग्ध अम्मार याशर है। वह धनबाद जिले के भूली ओपी क्षेत्र के शमशेर नगर का रहने वाला है। अम्मार के मोबाइल से कई संदिग्ध दस्तावेज मिले हैं। पूछताछ करने पर उसने बताया है कि वह पूर्व में इंडियन मुजाहिदीन से जुड़ा था। उसे साल 2014 में जोधपुर पुलिस ने गिरफ्तार करके जेल भेजा था।
10 साल जेल में रहने के बाद मई 2024 में वह जमानत पर जेल से बाहर आया और फिर से आतंकी संगठन हिज्ब-उत-तहरीर से जुड़ गया। उसके खिलाफ 3 अलग-अलग केस दर्ज हैं। राजस्थान के जयपुर स्थित SOG में वर्ष 2024 में विस्फोटक पदार्थ अधिनियम और UAPA की धाराओं में केस दर्ज है। 2019 में लालकोठी थाने में कारा अधिनियम के तहत और जोधपुर स्थित प्रतापनगर थाने में साल 2014 में केस दर्ज हुआ था।
यह भी पढ़ें: POK में 1000 से ज्यादा मदरसे बंद; जानें भारत के कड़े रुख के बाद पाकिस्तान में कैसे हालात?