OTT प्लेटफॉर्मों पर एडल्ट कंटेंट रोकने और उसके लिए पॉलिसी बनाने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने वाली जनहित याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच के सामने एडवोकेट विष्णु शंकर जैन अपनी दलीलें रखने के लिए खड़े हुए। जस्टिस गवई ने कहा कि ये तो पॉलिसी मैटर है। यह देखना सरकार का काम है। आप चाहते हैं कि कोर्ट इसमें दखल दे। हम कैसे करें? हमारी तो आलोचना हो रही है कि सुप्रीम कोर्ट विधायिका और कार्यप्रणाली के अधिकार क्षेत्र में दखल दे रहा है। हालांकि कोर्ट ने बाद में याचिकाकर्ता से कहा कि आप याचिका की कॉपी दूसरे पक्ष को दीजिए, हम सुनवाई करेंगे।
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इससे पहले सोशल मीडिया पर अश्लील कॉमेडी को लेकर विवाद सामने आया था। फरवरी 2025 के इस मामले में सूचना और प्रसारण मंत्रालय (MIB) ने ओटीटी प्लेटफार्मों के लिए एडवाइजरी जारी की थी। एडवाइजरी में कंटेंट नियमों का सख्ती से पालन करने और अश्लील कंटेंट पब्लिश करने से परहेज करने को लेकर निर्देश दिए गए थे।
मंत्रालय को मिल चुकी हैं कई शिकायतें
मंत्रालय ने कहा था कि डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर अनुचित सामग्री के बारे में कई शिकायतें उसको सांसदों, जनता और वैधानिक निकायों से मिल चुकी हैं। आईटी नियमों के मुताबिक इस तरह का प्रतिबंधित कंटेंट नहीं परोसा जा सकता। उन्हें अपने प्रोग्रामिंग के लिए आयु आधारित क्लासिफिकेश लागू करना अनिवार्य करना होगा। सभी प्लेटफॉर्म मंत्रालय की एडवाइजरी का पालन करें, यह सुनिश्चित किए जाने की जरूरत है। कंटेंट पब्लिश करने को लेकर अलग-अलग कानून और प्रावधान बनाए गए हैं।
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