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Delhi Excise Policy Case: ईडी ने तीसरी बार अरविंद केजरीवाल को भेजा समन, अब इस दिन पेश होने को कहा

Delhi Excise Policy case में सीएम Arvind Kejriwal को ईडी ने तीसरी बार समन भेजा है। एजेंसी ने केजरीवाल ने अगले महीने पेश होने के लिए कहा है।

सीएम अरविंद केजरीवाल द्वारा निर्देश के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल।
Delhi Excise Policy Case: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को उत्पाद शुल्क नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शुक्रवार को तीसरी बार समन भेजा। एजेंसी ने केजरीवाल से तीन जनवरी को पेश होने के लिए कहा है। दो नवंबर को पहली बार ईडी ने केजरीवाल भेजा समन गौरतलब है कि इससे पहले 18 दिसंबर को एक्साइज पॉलिसी केस में ईडी ने केजरीवाल को समन भेजा था और 21 दिसंबर को पेश होने के लिए कहा था। एजेंसी ने सबसे पहले दो नवंबर को केजरीवाल को पेश होने के लिए बुलाया था, लेकिन उन्होंने जाने से इनकार कर दिया। उनका आरोप था कि नोटिस अस्पष्ट, प्रेरित और कानून की दृष्टि से टिकाऊ नहीं है। 'राजनीति से प्रेरित है समन' दिल्ली के मुख्यमंत्री ने ईडी के सहायक निदेशक जोगेंद्र को लिखे पत्र में कहा कि मुझे किसलिए बुलाया जा रहा है, यह समन में स्पष्ट नहीं है। यह समन राजनीति से प्रेरित है। यह भी पढ़ें: मोदी को 101 परसेंट हराया जा सकता है, शख्स ने ऐसा क्यों बोला? देखें वीडियो ईडी ने 18 दिसंबर को केजरीवाल को पेश होने के लिए बुलाया था। हालांकि, उन्होंने यह आरोप लगाते हुए एजेंसी के सामने जाने से इनकार कर दिया कि यह सिर्फ 2024 में संसदीय चुनाव के अंतिम महीनों में सनसनीखेज खबर बनाने के लिए था। यह भी पढ़ें: Sunil Kedar: कौन हैं महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री सुनील केदार, जिन्हें बैंक स्कैम में कोर्ट ने सुनाई पांच साल की सजा सीबीआई ने अप्रैल में केजरीवाल को किया तलब मालूम हो कि इससे पहले केंद्रीय जांच ब्यूरी यानी सीबीआई ने इस साल अप्रैल में दिल्ली के मुख्यमंत्री को इसी मामले में पेश होने के लिए बुलाया था। हालांकि, पिछले साल 17 अगस्त को सीबीआई द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में केजरीवाल को आरोपी के रूप में नामित नहीं किया गया था। मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने किया गिरफ्तार बता दें कि फरवरी 2023 में डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को अब खत्म हो चुकी नई उत्पाद शुल्क नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं के लिए सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। हालांकि, विपक्ष द्वारा घोटाला करने का आरोप लगाने के बाद इस नीति को वापस ले लिया गया था।


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