TrendingHOROSCOPE 2025Ind Vs AusIPL 2025year ender 2024Maha Kumbh 2025Delhi Assembly Elections 2025bigg boss 18

---विज्ञापन---

Cheetah in India: चीतों के भारत से विलुप्त होने से लेकर नामीबिया से वापिस आने तक, यहां जानें A से Z तक सब कुछ

Cheetah In India: भारत में 70 साल बाद चीतों के कदम पड़ने वाले हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के मौके पर नामीबिया से 8 चीते 17 सितंबर को मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क पहुंचेंगे। इनमें से तीन नर और पांच मादाएं हैं। जानकारों का कहना है कि ये चीते भारत में खुले जंगल और […]

भारत आने पर इन चीतों का ना केवल एक नया घर, बल्कि नए नाम भी मिले हैं।
Cheetah In India: भारत में 70 साल बाद चीतों के कदम पड़ने वाले हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के मौके पर नामीबिया से 8 चीते 17 सितंबर को मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क पहुंचेंगे। इनमें से तीन नर और पांच मादाएं हैं। जानकारों का कहना है कि ये चीते भारत में खुले जंगल और घास के मैदान के पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली में मदद करेंगे। यह जैव विविधता के संरक्षण में मदद करेंगे और जल सुरक्षा, कार्बन पृथक्करण और मिट्टी की नमी संरक्षण जैसी पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को बढ़ाने में मदद करेंगे, जिससे बड़े पैमाने पर समाज को लाभ होगा। लेकिन सवाल यह है कि भारत से चीतों का अस्तित्व कैसे खत्म हो गया? आखिर कौन था वह शख्स जिसने देश के आखिरी 3 चीतों का शिकार किया था और क्यों 70 साल में क्यों चीतों को भारत नहीं लाया जा सका और अब कैसे भारत आ रहे हैं अफ्रीकी चीते? इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे चीतों के भारत आने की पूरी कहानी।

भारत में आखिरी बार 1948 में देखे गए थे 3 चीते

भारत में आखिरी बार चीतों को 1948 में देखा गया था। 1948 के बाद चीते दिखने की जानकारी नहीं मिलती। राजा रामानुज प्रताप ने 3 चीतों का शिकार किया। भारत ने 1952 में चीते को विलुप्त माना था। हालांकि इसके बाद चीतों को कई बार भारत लाने की कोशिशें की गईं, लेकिन वो परवान नहीं चढ़ सकीं। अभी पढ़ें वो लड़की, जिससे चीते डरते हैं, चीतों से घिरी रहती है फिर भी नहीं डरती

पहले ईरान ने की थी पेशकश

1970 के दशक में ईरान के शाह ने भारत चीते भेजने की बात कही थी। लेकिन उन्हें बदले में भारत से शेर चाहिए थे। कुछ कारणों के चलते उनकी ये पेशकश पूरी नहीं की जा सकी।

भारत में चीतों की डगर मुश्किल क्यों हुई?

भारत सरकार ने वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट बनाया जिसे 1972 में लागू किया गया। एक्ट के मुताबिक देश में किसी भी जगह किसी भी जंगली जीव का शिकार करना प्रतिबंधित किया गया। इसके बाद देश में जंगली जीवों के लिए संरक्षित इलाके बनाए गए। लेकिन लोग चीतों को करीब-करीब भूल गए। फिर चीतों को लेकर 2009 में आवाज़ उठी। जब वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया ने राजस्थान के गजनेर में दो दिन का इंटरनेशनल वर्कशॉप रखा। इसमें भारत में चीतों को वापस लाए जाने की मांग उठी। 2009 में चीतों को भारत लाने की जो मांग उठी थी, वह अब पूरी होने जा रही है। फिलहाल अगले पांच साल तक चीतों के लिए नामीबिया से समझौता हुआ है। 1952 के बाद ऐसा पहली बार होगा जब भारत में चीतों को करीब से देखा जा सकेगा।

PM मोदी का बर्थडे गिफ्ट!

जानकारी के मुताबिक सभी चीते कूनो नेशनल पार्क पीएम मोदी के कार्यक्रम से ठीक 4 घंटे पहले पहुंच जायेंगे। ऐसा अनुमान है कि 17 सितंबर की सुबह चीते कूनो में होंगे। इस दौरान पीएम मोदी खुद इन चीतों को पिंजरे से जंगल में छोड़ेंगे। कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी का मंच करीब 12 फीट ऊंचा होगा। मंच के ठीक नीचे 6 फीट के पिंजरे में चीते होंगे। मंच से 50 फीट दूर चीतों के लिए क्वारैंटाइन सेंटर बना है। पीएम मोदी 12 बजकर 5 मिनट पर चीतों के पिंजरों का गेट खोलेंगे। कुछ देर बाद चीते क्वारैंटाइन सेंटर में होंगे।

कूनो क्यों है मुफीद

कूनो नेशनल पार्क चुना इसलिए गया क्योंकि यहां पर चीतों के खाने की कमी नहीं है। यानी पर्याप्त मात्रा में शिकार करने लायक जीव हैं। इसके अलावा भी 181 चीतलों को दूसरे अभ्यारण्य से कूनो पहुंचाया गया है। बताया जा रहा है कि कूनो नेशनल पार्क का वातावरण भी अफ्रीकी चीतों के अनुकूल है। करीब 748 वर्ग किलोमीटर में फैले इस नेशनल पार्क में इंसानों का आना-जाना बिलकुल कम है।

कूनो में बढ़ेंगे पर्यटक

माना जा रहा है कि चीतों के कूनो नेशनल पार्क में शिफ्ट होने के बाद यहां पर्यटकों की तादात में तेजी से इजाफा होगा। फिलहाल, कूनो पार्क में टूरिस्ट के लिए रुकने के लिए एक ही रिसॉर्ट है। लेकिन माना जा रहा है कि अब टूरिस्ट चीतों को देखने आएंगे तो उनकी संख्या बढ़ेगी।

ये हैं इस बड़ी बिल्ली की खासियतें

  • 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ने वाला जानवर
  • चीता दौड़ते वक्त 7 मीटर लंबी छलांग लगा सकता है
  • दौड़ते समय चीता आधे वक्त हवा में रहता है
  • चीता कभी भी इंसानों का शिकार नहीं करता है
  • चीता हमेशा हरी घास पर रहना पसंद करता है

जयपुर की बजाय ग्वालियर पहुंचेगा विशेष विमान

नामीबिया से चीतों को भारत ला रहे विशेष विमान के रूट में बदलाव किया गया है। अब इस विमान को राजस्थान की राजधानी जयपुर की बजाय मध्यप्रदेश के ग्वालियर में उतारा जाएगा। प्रोजेक्ट चीता प्रमुख एसपी यादव ने कहा, “नामीबिया से आने वाले चीतों की एक विशेष चार्टर कार्गो फ्लाइट अब ग्वालियर में उतरेगी, पहले इसे 17 सितंबर को जयपुर में उतरना था, फिर ग्वालियर से एक हेलीकॉप्टर से कुनो नेशनल पार्क श्योपुर लाया जाएगा।”

16 घंटे बिना रुके सफर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन 17 सितंबर को मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में 8 चीतों को छोड़ा जाएगा। यह तीन नर और पांच मादा चीते नामीबिया से भारत लाए जा रहें हैं। नामीबिया के हुशिया कोटाको इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर इन्हें लाने के लिए बोईंग 747 विशेष विमान पहुंच चुका है। सूत्रों के मुताबिक 16 घंटे का सफर कर बिना रुके यह चीते नामीबिया से भारत लाए जाएंगे। चीतों को लाने के लिए इस जंबो विमान का चयन इसलिए किया गया है ताकि ईंधन भरवाने के लिए रास्ते में रुकना ना पड़े।

चीते रहेंगे भूखे पेट

वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, जंगली बिल्लियों को अपनी पूरी हवाई पारगमन अवधि खाली पेट बितानी होगी। एमपी के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) जेएस चौहान ने पीटीआई-भाषा को बताया कि एहतियात के तौर पर यह अनिवार्य है कि यात्रा शुरू करते समय जानवर को खाली पेट खाना चाहिए। उन्होंने कहा कि नामीबिया से राष्ट्रीय उद्यान की यात्रा के दौरान चीतों को कोई भोजन नहीं दिया जाएगा। चौहान ने कहा कि इस तरह की सावधानी बरतने की जरूरत है क्योंकि लंबी यात्रा जानवरों में मतली जैसी भावना पैदा कर सकती है जिससे अन्य जटिलताएं हो सकती हैं। चौहान ने कहा कि चीतों को मालवाहक विमान से हेलीकॉप्टर में स्थानांतरित करने और अन्य औपचारिकताएं पूरी करने के बाद एक घंटे की यात्रा के बाद वे कुनो-पालपुर के हेलीपैड पर पहुंचेंगे। अभी पढ़ें समरकंद से पीएम मोदी का दुनिया को संदेश, बोले-दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से बढ़ रहा भारत

चीतों की भूख मिटाने के लिए 181 चीतल कूनो पहुंचाए

नामीबिया से विशेष विमान के जरिए भारत ला जा रहे चीतों की भूख मिटाने के लिए 181 चीतलों को कूनो नेशनल पार्क भेजा गया है। इन चीतलों को मध्य प्रदेश के ही राजगढ़ जिले के नरसिंहगढ़ स्थित चिड़ीखो अभ्यारण से श्योपुर जिला स्थित कूनो नेशनल पार्क भेजे गए हैं।

हर एक के गले में रहेगा सैटेलाइट रेडियो कॉलर

जानकारी के मुताबिक इनमें से हर चीते के गले में सैटेलाइट रेडियो कॉलर पहनाया जाएगा। ताकि कूनो अभ्यारण्य में इन चीतों की लॉकेशन ट्रैक की जा सके। इस काम के लिए बकायदा कर्मचारी नियुक्त किए जाएंगे जो इन चीतों की पल-पल की मूवमेंट पर नज़र बनाए रख सकें.

पास के गांव में खुशहाली, लेकिन डर भी मौजूद

कूनो नेशनल पार्क के टिकटोली गेट के पास ही टिकटोली गांव है जहां की आबादी करीब 300 के करीब है। जहां अभी तक सुविधाओं का टोटा रहा है। माना जा रहा है कि चीतों के साथ इस गांव में खुशहाली भी आएगी। हालांकि टिकटोली और आसपास के गांव के लोगों को इस बात का डर है कि चीते उनके मवेशियों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसे लेकर वनविभाग ने चीता मित्रों का गठन किया है, जो स्थानीय लोगों को चीते के बारे में बतायेंगे।

चीतों पर पांच साल में खर्च होंगे 75 करोड़ रुपये

नामीबिया से भारत लाए गए चीतों पर पांच सालों में कुल 75 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसके लिए इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के बीच MoU साइन किया गया है। पांच सालों में इंडियन ऑयल 50 करोड़ जबकि अन्य खर्च मंत्रालय करेगा।


Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 and Download our - News24 Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google News.