बशर्ते एल्गोरिदम ठीक से करे काम
इसरो चीफ ने कहा कि चंद्रयान-3 को डिजाइन इस तरह किया गया है कि उसमें चूक की कोई गुंजाइश नहीं है। बशर्ते उसका प्रोपल्शन मॉड्यूल काम करता रहे। हमने यह भी सुनिश्चित किया है कि अगर विक्रम लैंडर में दो इंजन इस बार भी काम नहीं करते हैं तो भी यह लैंड करने में सक्षम होगा। इसलिए पूरा डिजाइन यह सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है कि यह कई विफलताओं को संभालने में सक्षम होना चाहिए, बशर्ते एल्गोरिदम ठीक से काम करें। यह भी पढ़ें: लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर बहस: अमित शाह बोले- विपक्ष का मकसद सिर्फ भ्रम फैलाना है6 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा चंद्रयान-3
चंद्रयान-3 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से 14 जुलाई को लॉन्च किया गया था। इसे एक एलवीएम-3 रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष में भेजा गया था। उड़ान भरने और लॉन्च मॉड्यूल से अलग होने के बाद चंद्रयान-3 ने पृथ्वी की कक्षा में अंडाकार चक्कर लगाए। इसके बाद 5 अगस्त को ट्रांसलूनर प्रक्रिया के जरिए चंद्रयान-3 को चंद्रमा की कक्षा में स्थापित किया गया है। 6 अगस्त को अंतरिक्ष यान चंद्र कक्षा में प्रवेश कर गया।डीबूस्ट प्रोसेस तक ऐसे पहुंचेगा मून मिशन
सबसे पहले चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की कक्षा में 164 x 18,074 में चक्कर लगाया। मतलब चंद्रमा से ससबसे निकट 164 किमी और सबसे दूर 18,074 किमी की परिधि में था। इसके बाद चंद्रयान-3 ने 170 x 4313 किलोमीटर की कक्षा में गया। अब चंद्रयान-3 की तीन बार कक्षा बदली जाएगी, जब तक यह अपनी अंतिम 100 किलोमीटर x 100 किलोमीटर की कक्षा तक नहीं पहुंच जाता। उस अंतिम कक्षा में पहुंचने के बाद, अंतरिक्ष यान एक डीबूस्ट प्रक्रिया शुरू करेगा जहां 23 अगस्त को चंद्र सतह पर उतरने के लिए लैंडर मॉड्यूल के अलग होने से पहले यान धीमा हो जाएगा। कक्षा बदलने के बाद चंद्रयान-3 को डीबूस्ट प्रोसेस में डाला जाएगा। 300,000 किमी से अधिक की दूरी तय करते हुए, यह आने वाले हफ्तों में चंद्रमा पर पहुंचेगा। यान पर मौजूद वैज्ञानिक उपकरण चंद्रमा की सतह का अध्ययन करेंगे।और पढ़िए – देश से जुड़ी अन्य बड़ी ख़बरें यहां पढ़ें
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