चंद्रयान-3 आज चंद्रमा पर करेगा सॉफ्ट लैंडिंग; जानें, ये हार्ड लैंडिंग से कैसे है अलग?
Chandrayaan 3 Landing
Chandrayaan-3 Landing: इसरो का मिशन चंद्रयान-3 आज शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा की सतह पर लैंड करेगा। बता दें कि इसरो ने अपना यह मिशन 14 जुलाई को लाॅन्च किया था। उसके बाद आज अब इसे मून के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग कराया जाएगा। तकनीकी भाषा में सॉफ्ट लैंडिंग और हार्ड लैंडिंग दो अलग-अलग चीजें हैं। आइए आज हम हमको इसके बारे में बताते हैं।
जानें सॉफ्ट लैंडिंग क्या है
इसरो की भाषा में सॉफ्ट लैंडिंग से तात्पर्य है कि अंतरिक्ष में किसी सतह पर यान की सफल लैंडिंग से है। इस दौरान पैलोड और यान को कोई क्षति नहीं होती है। इसमें विमान के नियंत्रण के साथ ही इसकी लैंडिंग सुनिश्चित होती है। सॉफ्ट लैंडिंग में कम से कम विनाश, नियंत्रित ईंधन खपत, चंद्रमा की सतह पर धूल का समायोजन, गुरुत्वाकर्षण खिंचाव के बीच इंजन की फायरिंग भी शामिल है।
यह भी पढ़ेंः Chandrayaan-3 Landing: क्यों विफल हुआ था मिशन चंद्रयान-2, इसरो चीफ सोमनाथ ने अब किया खुलासा
हार्ड लैंडिंग से नष्ट हो जाते हैं यान
वहीं हार्ड लैंडिंग सॉफ्ट लैंडिंग की तुलना में कम जटिल है। हार्ड लैंडिंग आमतौर पर हवाई सर्वेक्षण के लिए काम आता है। हार्ड लैंडिंग में अंतरिक्ष यान नष्ट हो जाते हैं क्योंकि सॉफ्ट लैंडिंग की तुलना में यह और अधिक गति से किया जाता है। हार्ड लैंडिंग आम तौर पर दुर्घटना से अलग होती है क्योंकि इससे यान को बड़ा नुकसान होता है। इसरो के पूर्व चीफ आर के सिवन ने कहा कि विक्रम लैंडर के सॉफ्टवेयर में खराबी के कारण यान की हार्ड लैंडिंग हुई थी। बता दें कि अभी भी अंतरिक्ष की सतह पर चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर मौजूद है।
चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग इसलिए है जरूरी
बता दें कि इसरो के इस नये मून मिशन चंद्रयान-3 में कोई ऑर्बिटर माॅडयूल नहीं है। इसे चंद्रयान-2 द्वारा बीच में छोड़े गए मिशन को पूरा करने के लिए लाॅन्च किया गया है। यही कारण है कि अंतरिक्ष यान के लिए चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग महत्वपूर्ण है। अन्यथा मिशन पर गलत प्रभाव पड़ सकता है।
Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world
on News24. Follow News24 and Download our - News24
Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google
News.