Constitution Day: भारत के संसद को लागू हुए 75 साल हो गए हैं। संविधान को लेकर भारत में हमेश दो वर्ग देखने को मिलते हैं। पहला वर्ग कहता है कि संविधान की रचना डॉ. भीमराव आंबेडकर ने की, वहीं दूसरा वर्ग इससे परहेज रखता है। इतिहास में इसका साफ साफ उल्लेख है, बावजूद इसके शुरुआत से ही लोगों में कंफ्युजन की स्थिति या कहें अपनी-अपनी राय के प्रति कट्टरता बनी हुई है। आइए तर्क के साथ आपको पूरा घटनाक्रम बताते हैं…
देश में क्रांति का दौर चल रहा था। आजादी का बिगुल बज चुका था। भारत पर अंग्रेजी शासन था लेकिन आजादी का बिगुल बज चुका था। दूसरा विश्व युद्ध समाप्त हुआ और जुलाई 1945 में ब्रिटेन ने भारत के लिए अपनी नई नीति की घोषणा की। 19 सितंबर 1945 को वायसराय लॉर्ड वेवेल ने भारत में केंद्रीय और प्रांतीय विधानसभाओं के चुनाव दिसंबर 1945 से जनवरी 1946 तक कराने का फैसला किया। साथ ही कहा कि इन चुनावों के बाद एक कार्यकारी परिषद का गठन किया जाएगा। इसके अलावा एक संविधान-निर्माण निकाय का गठन किया जाएगा। आम चुनाव हुए और कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। भारत में संविधान सभा बनाने के लिए ब्रिटेन ने एक कैबिनेट मिशन को भारत भेजा। इसमें 3 मंत्री थे।
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संविधान सभा में सभी जीते सदस्य थे। इस सभा को संविधान का मसौदा तैयार करना था। संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई। सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद बनाए गए। 389 सदस्यों ने चुनाव जीता था लेकिन विभाजन के बाद भारत की संविधान सभा में 299 सदस्य रह गए।
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संविधान सभा ने संविधान का ड्राफ्ट बनाने के लिए 29 अगस्त, 1947 को प्रारूप समिति (ड्रॉफ्टिंग कमेटी) का गठन किया। इसके अध्यक्ष डॉ. बी आर आंबेडकर थे। इसके अलावा समिति में 7 सदस्य थे। सबसे पहले संवैधानिक सलाहकार बी एन राव ने संविधान का प्रारंभिक ड्राफ्ट तैयार किया था। बाद में ड्रॉफ्टिंग कमेटी ने राव के इस ड्राफ्ट को कानूनी दस्तावेज में बदला। इसमें संविधान सभा की ड्रॉफ्टिंग कमेटी ने 2 साल, 11 महीने और 18 दिन तक मेहनत की। इसके बाद 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा में संविधान को अपनाया गया। हालांकि यह लागू 26 जनवरी 1950 को हुआ। संविधान सभा ने साल 1950 में स्वतंत्र भारत की पहली संसद के रूप में काम किया।
और आसान भाषा में कहें तो डॉ. भीमराव आंबेडकर केवल प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे। संवैधानिक सलाहकार बीएन राव ने संविधान का पहला ड्राफ्ट तैयार किया था। इसके बाद ड्राफ्टिंग कमेटी के 7 सदस्यों ने करीब 3 साल का समय देकर उस प्रारूप को बेहतर और जरूरी सुधार किए। इसके बाद ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष डॉ. भीमराव आंबेडकर ने फाइनल प्रारूप को संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद को सौंपा। संविधान सभा ने बहुमत सदस्यों की सहमति से प्रारूप को भारत का संविधान बनाया।
मूल संविधान में 395 अनुच्छेद थे, जो 22 भागों में विभाजित थे। साथ ही केवल 8 अनुसूचियां थीं। वर्तमान संविधान में 470 अनुच्छेद हैं और 12 अनुसूचियां हैं। ये सभी 25 भागों में विभाजित हैं।
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