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लव मैरिज करने पर लड़के के खिलाफ दर्ज हुआ केस, हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

Allahabad High Court on love marriage: लव मैरिज करने पर लड़की के माता-पिता ने लड़के पर अपहरण का केस दर्ज करा दिया था। इसकी वजह यह थी कि उन्हें शादी मंजूर नहीं थी।

Allahabad High Court on people against love marriage: प्रेम विवाह को लेकर समाज का विरोध किसी से छिपा नहीं है। हालांकि अब धीरे धीरे यह स्वीकार्य होता जा रहा है लेकिन कई समाजों में अब भी लव मैरिज करने के लिए प्रेमी-प्रेमिका को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है। कई बार तो वे आत्महत्या तक कर लेते हैं या घर से भागकर शादी करने पर मजबूर हो जाते हैं। बहुत से लोग अभी भी पुरानी सोच के ही हैं जो अपने बच्चों पर अपनी मर्जी थोपना चाहते हैं। लव मैरिज को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने प्रेम विवाह के खिलाफ जाने वालों पर नाराजगी व्यक्त की है। दरअसल मामला यह था कि लड़की के घरवालों ने प्रेम विवाह करने को लेकर लड़के के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी। अदालत ने इसे समाज का काला चेहरा बताया है। कोर्ट का कहना था कि अगर लव मैरिज करके पति-पत्नी खुश हैं तो उसमें बाधा डालना सही नहीं है। कोर्ट ने केस को रद्द कर दिया। ये भी पढ़ें-ममता बनर्जी की पार्टी का पूर्व विधायक हत्या के आरोप में गिरफ्तार, लोकसभा चुनाव से पहले TMC को बड़ा झटका मर्जी से जीवन जीने के लिए स्वतंत्र-हाईकोर्ट हाईकोर्ट ने कहा कि आजादी के 75 साल बाद भी लव मैरिज स्वीकार क्यों नहीं है। कोर्ट ने लव मैरिज करने वालों के रास्ते में दिक्कतें पैदा करने वालों के आड़े हाथों लिया। अदालत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कई बार कहा है कि बालिग युवक को वैयक्तिक स्वतंत्रता का अधिकार है। वे अपनी मर्जी से अपना जीवन जीने के लिए स्वतंत्र हैं। कोर्ट ने लड़की के घरवालों द्वारा लड़के पर केस दर्ज कराए जाने पर चिंता जाहिर की। क्या था मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह फैसला उत्तर प्रदेश बनाम सागर सविता मामले में सुनवाई के दौरान दिया। जस्टिस प्रशांत कुमार की पीठ ने कहा कि हमें गहरी पीड़ा हुई। समाज का खौफ इस कदर व्याप्त है कि आजादी के 75 साल बाद भी हम ऐसे मामले लड़ रहे हैं। इस तरह के केस चलाने का कोई औचित्य नहीं है। इस तरह के सामाजिक खतरे की जड़ें गहरी हैं जो बहुत अफसोस की बात है। केस को किया खारिज जालौन के नदीगांव थाने में दर्ज इसे लेकर एफआईआर दर्ज कराई गई थई। लड़की के माता पिता ने लड़के के खिलाफ IPC की धारा 363, यानी अपहरण, 366 यानी किसी स्त्री को विवाह के लिए विवश करने और 7/8 POCSO Act में केस दर्ज कराया था। इस केस को खारिज करने के लिए याचिकाकर्ता हाईकोर्ट पहुंचा था। याचिकाकर्ता लड़के ने कहा था कि उसके प्रेम विवाह से लड़की के पिता खुश नहीं थे और अपहरण का केस दर्ज करा दिया। लड़की के घरवालों ने साल 2022 में यह केस दर्ज कराया था। कोर्ट ने कहा कि वे दोनों खुश हैं और उनका बच्चा भी है तो शादी को स्वीकार करने में कोई दिक्कत नहीं है। ये भी पढ़ें-कैबिनेट ने रेलवे के मल्टी ट्रैकिंग प्रोजेक्ट्स को दी मंजूरी, जानें इससे क्या होगा फायदा


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