What do if Medical Insurance Claim is Denied : मेडिकल इंश्योरेंस होने पर भी एक शख्स को गुरुग्राम के एक अस्पताल में इलाज कराना काफी महंगा पड़ गया। इसे इलाज का खर्च अपनी जेब से चुकाना पड़ा। इस पूरे मामले में अस्पताल की लापरवाही तो सामने आई ही है, साथ ही इंश्योरेंस कंपनी भी कम जिम्मेदार नहीं रही। अस्पताल ने मरीज का हेल्थ इंश्योरेंस इलाज की रकम अप्रूवल के लिए कंपनी को सही समय पर नहीं भेजा, जबकि उसने सारे डॉक्यूमेंट भर्ती होते समय ही जमा करा दिए थे। अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद मरीज ने रीइम्बर्स्मन्ट के लिए बीमा कंपनी को भी डॉक्यूमेंट भेजे लेकिन 10 दिन बाद भी बीमा कंपनी की ओर से कोई एक्शन नहीं लिया गया है।
[caption id="attachment_689209" align="alignnone" ] Health Insurance क्लेम न होने की स्थिति में कंपनी को शिकायत करें।[/caption]
अप्रूवल से जुड़ी ये बातें जानें
हर अस्पताल में एक TPA (Third Party Administrator) होता है। इसका काम मरीज की हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी और अस्पताल के बीच कम्युनिकेशन करना होता है। साथ ही हर इंश्योरेंस कंपनी का भी एक TPA होता है। कंपनी के TPA के बारे में नहीं पता तो कंपनी को फोन करके इसकी जानकारी ले लें। अस्पताल में भर्ती होने के बाद मरीज को इलाज की रकम से संबंधित कोई परेशानी न हो, इसके लिए TPA ही कंपनी और अस्पताल के बीच कम्युनिकेशन करते हैं। अस्पताल में भर्ती होने से पहले ये काम करें:
इंश्योरेंस के कागज अस्पताल के TPA के पास जमा कराएं। इस दौरान TPA की ओर से कुछ पेपर मिलते हैं, जिन्हें भरना होता है। अस्पताल के TPA को डॉक्यूमेंट जमा कराने के बाद अपनी हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी को भी इस बारे में बता दें। यह पूरा कम्युनिकेशन ई-मेल के जरिए करेंगे तो बेहतर होगा ताकि सबूत रहे।
जब अस्पताल मरीज के डॉक्यूमेंट इंश्योरेंस कंपनी को भेजता है तो कंपनी की जिम्मेदारी होती है कि उन्हें 4 घंटे के भीतर अप्रूव करे। कोई भी इंश्योरेंस कंपनी दो तरह के अप्रूवल (मरीज को भर्ती करते समय और डिस्चार्ज करते समय) देने में 4 घंटे से ज्यादा वक्त नहीं ले सकती। अप्रूवल की सुविधा हफ्ते के सातों दिन 24 घंटे चालू रहती है।
अप्रूवल की जानकारी अस्पताल के साथ मरीज की ई-मेल आईडी पर भी दी जाती है। मरीज को चाहिए कि वह अस्पताल में भर्ती होने पर अपनी ईमेल आईडी का पासवर्ड अपने किसी परिवार के सदस्य को दे दे ताकि वे कंपनी के साथ कम्युनिकेशन करते रहें।
अगर कंपनी की ओर से 4 घंटे में कोई अप्रूवल नहीं आता है तो कंपनी के कस्टमर केयर पर कॉल करके और ई-मेल के जरिए इसकी जानकारी दें। अगर मरीज यह सब करने में सक्षम नहीं है तो परिवार का कोई दूसरा शख्स भी यह सब कर सकता है।
कंपनी की तरफ से आधे घंटे में कोई रिस्पॉन्स न मिले तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (X, Facebook, Instagram, LinkedIn) पर इसकी शिकायत करें। शिकायत के दौरान इंश्योरेंस कंपनी को टैग करना न भूलें।
इतनी प्रक्रिया के बाद कंपनी की तरफ से अप्रूवल आ ही जाता है। अगर फिर भी अप्रूवल न आए तो कंपनी का पीछा न छोड़ें। उसे हर आधे घंटे पर ई-मेल आदि करते रहें।
मेडिकल क्लेम रिजेक्ट होने या देरी से अप्रूवल मिलने पर शिकायत इस प्रकार दर्ज कराएं:
सबसे पहले बीमा देने वाली कंपनी के पास ई-मेल के जरिए शिकायत दर्ज कराएं। कंपनी की ई-मेल आईडी कंपनी की वेबसाइट पर होती है।
अगर बीमा कंपनी 15 दिनों में शिकायत का निपटरा न करे तो भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) की ऑफिशल वेबसाइट irda.gov.in पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराएं।
साथ ही IRDAI की ओर से इंश्योरेंस ओम्बुड्समैन के पास भी बीमा कंपनी की शिकायत कर सकते हैं। ओम्बुड्समैन के बारे में IRDAI की वेबसाइट पर जानकारी है।
अगर कहीं से कोई सुनवाई न हो या फैसले से संतुष्ट नहीं हैं तो उपभोक्ता फोरम का दरवाजा भी खटखटा सकते हैं।