कुछ लोगों की आदत होती है किसी भी चीज के बारे में जानने के लिए गूगल का यूज करने की। हालांकि, यह कोई खराब आदत नहीं है। अगर टेक्नोलॉजी ग्रो कर रही है, तो हमें भी उसके साथ-साथ ग्रो करना चाहिए और इंटरनेट की मदद लेना कोई गलत बात नहीं है। मगर क्या हो अगर आपको इससे भी कोई बीमारी हो जाए? जी हां, गूगल सर्च पर सर्च करना भी एक बीमारी है, जिसे इडियट सिंड्रोम (Idiot Syndrome) कहते हैं। इस सिंड्रोम में इंसान बीमारियों के बारे में गूगल से जानकारी लेता है। यह गंभीर तब हो जाता है, जब इंसान रोज-रोज किसी बीमारी, दवा या उसके इलाज के बारे में सर्च इंजन पर सर्च करता है। आइए जानते हैं इस बारे में।
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क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
ओखला के फोर्टिस अस्पताल में ऑर्थोपेडिक्स डिपार्टमेंट के डायरेक्टर डॉक्टर कौशल कांत मिश्रा बताते हैं कि अगर किसी इंसान को बार-बार अपने फोन में गूगल पर जाकर हर दिन अलग-अलग बीमारियों के बारे में जानने की इच्छा होती है तो यह सामान्य बात नहीं है। इसका संबंध इडियट सिंड्रोम से होता है, जो एक मेंटल हेल्थ कंडीशन है। डॉक्टर कहते हैं कि इस वर्ड को भी गूगल ने ही प्रोवाइड किया हुआ है, जिसमें इंसान बीमारी के इलाज से लेकर दवा और आगे के लक्षणों और नुकसानों के बारे में पढ़ता है। यहां तक कि वह अपना इलाज भी गूगल द्वारा बताई गई दवा से ही कर लेता है।
Idiot Syndrome की फुलफॉर्म क्या है?
इडियटसिंड्रोम की परिभाषा है इडियट यानी कि बेवकूफ से अलग है। इसे इंटरनेट डेराइव्ड इंफॉर्मेशन ऑब्सट्रक्शन ट्रीटमेंट (Internet Derived Information Obstruction Treatment ) कहा जाता है। हालांकि, यह कोई ऐसी बीमारी नहीं है जिसका दवा के जरिए इलाज किया जा सके। इसमें मरीज का दिमाग गूगल पर मौजूद जानकारियों पर अंधा विश्वास करता है।
कैसे हैं इसके लक्षण?
इंसान को डॉक्टर से ज्यादा गूगल पर भरोसा होता है।
वह डॉक्टर से भी गूगल पर मौजूद जानकारी के अनुसार बहस करता है।
हर समस्या का इलाज गूगल पर ढूंढते हैं, डॉक्टर की दवा को भी गूगल पर सर्च करता है।
अपनी प्रॉब्लम का हल न मिलने पर डिप्रेशन में जाने लगता है।
गूगल पर मौजूद गलत जानकारियों को इस्तेमाल कर सेहत के साथ खिलवाड़ करना।